Hindi, asked by rishabhk9532, 5 months ago

सैकत शैय्या पर दुग्ध धवल तंन्वंगी गंगा ग्रीष्म विरल लेटी है शांत पक्लांट निश्चल पंक्ति में अलंकार है​

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Answered by shishir303
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सैकत-शय्या पर दुग्ध-धवल, तन्वंगी गंगा, ग्रीष्म-विरल,

लेटी हैं श्रान्त, क्लान्त, निश्चल!

इन पंक्तियों में ‘रूपक अलंकार’ है।

यहाँ सैकत यानि रेत को ही शय्या बना दिया गया है, अर्थात उपमेय को ही उपमान बना दिया गया है, और दोनों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया है। इसलिये यहाँ पर रूपक अलंकार की उत्पत्ति हो रही है।

जब उपमेय और उपमान के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया जाए और गुणों की अत्यंत समानता के कारण उसमेय को ही उपमान बता दिया जाए, तब वहां पर रूपक अलंकार होता है। ऐसी स्थिति में उपमेय और उपमान के बीच का वाचक शब्द लुप्त हो जाता है। रूपक अलंकार अर्था अलंकार के एक प्रकारों में से है।

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