संकटग्रस्त जाति तथा लुप्त जाति में अन्तर क्या है
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संकटग्रस्त जाति
ये वे जातियाँ हैं जिनके लुप्त उपलब्धता कम होने से ये लगभग लुप्त हो चुके हैं। भारत में तो होने का खतरा है। जिन विषम परिस्थितियों के कारण यह जाति बहुत पहले, 1952 में लुप्त घोषित कर दी गई थी।
लुप्त जाति
लुप्तप्राय प्रजातियां, ऐसे जीवों की आबादी है, जिनके लुप्त होने का जोखिम है, क्योंकि वे या तो संख्या में कम है, या बदलते पर्यावरण या परभक्षण मानकों द्वारा संकट में हैं।विलुप्त होने की संभावना वाली कई प्रजातियों में से वास्तव में केवल कुछ ही इस सूची में दर्ज हो पाते हैं और क़ानूनी सुरक्षा प्राप्त करते हैं।
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