Hindi, asked by upadhyaydeepa767, 3 months ago

सुखी जीवन का रहस्य पर कहानी लिखिए​

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Answered by bhaimajnu212
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Answer:

परिश्रम से कुछ ही दिनों में राजा पूर्ण स्वस्थ और “सुखी” हो गए. इसलिए ये बात सत्य है की मेहनत का फल सदैव ही मीठा होता ही और जो लोग निरंतर अपने शरीर को आलसी न बनाते हुए, उससे कड़ी मेहनत लेते है , आखिर मैं वो कभी भी बीमार नहीं पड़ते है और अपना सम्पूर्ण जीवन स्वथ्य होकर जीते है.

Answered by ankushwaha06
4

Answer:

your answer is..

एक बार यूनान के मशहूर दार्शनिक सुकरात भ्रमण करते हुए एक नगर में गए। वहां उनकी मुलाकात एक वृद्ध सज्जन से हुई, दोनों आपस में काफी घुलमिल गए। वृद्ध सज्जन आग्रहपूर्वक सुकरात को अपने निवास पर ले गए। भरा-पूरा परिवार था उनका, घर में बहु-बेटे, पौत्र-पौत्रियां सभी थे।

सुकरात ने बुजुर्ग से पूछा:- ‘आपके घर में तो सुख-समृद्धि का वास है। वैसे अब आप करते क्या हैं?”

इस पर वृद्ध ने कहा:- ‘अब मुझे कुछ नहीं करना पड़ता। ईश्वर की दया से हमारा अच्छा कारोबार है, जिसकी सारी जिम्मेदारियां अब बेटों को सौंप दी हैं। घर की व्यवस्था हमारी बहुएं संभालती हैं। इसी तरह जीवन चल रहा है।”

यह सुनकर सुकरात बोले:- “किन्तु इस वृद्धावस्था में भी आपको कुछ तो करना ही पड़ता होगा। आप बताइए कि बुढ़ापे में आपके इस सुखी जीवन का रहस्य क्या है?”

वह वृद्ध सज्जन मुस्कराए और बोले:- ‘मैंने अपने जीवन के इस मोड़ पर एक ही नीति को अपनाया है कि दूसरों से ज्यादा अपेक्षाएं मत पालो और जो मिले, उसमें संतुष्ट रहो। मैं और मेरी पत्नी अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व अपने बेटे-बहुओं को सौंपकर निश्चिंत हैं। अब वे जो कहते हैं, वह मैं कर देता हूं और जो कुछ भी खिलाते हैं, खा लेता हूँ। अपने पौत्र- पौत्रियों के साथ हंसता-खेलता हूं। मेरे बच्चे जब कुछ भूल करते हैं, तब भी मैं चुप रहता हूँ। मैं उनके किसी कार्य में बाधक नहीं बनता। पर जब कभी वे मेरे पास सलाह-मशविरे के लिए आते हैं तो मैं अपने जीवन के सारे अनुभवों को उनके सामने रखते हुए उनके द्वारा की गई भूल से उत्पन्न् दुष्परिणामों की ओर सचेत कर देता हूँ। अब वे मेरी सलाह पर कितना अमल करते या नहीं करते हैं, यह देखना और अपना मन व्यथित करना मेरा काम नहीं है। वे मेरे निर्देशों पर चलें ही, मेरा यह आग्रह नहीं होता। परामर्श देने के बाद भी यदि वे भूल करते हैं तो मैं चिंतित नहीं होता। उस पर भी यदि वे मेरे पास पुन: आते हैं तो मैं पुन: नेक सलाह देकर उन्हें विदा करता हूँ।”

बुजुर्ग सज्जन की यह बात सुनकर सुकरात बहुत प्रसन्न हुए!

उन्होंने कहा:- ‘इस आयु में जीवन कैसे जिया जाए, यह आपने बखूबी समझ लिया है।”

Explanation:

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