साखी कविता का भूमिका
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साखी कविता का मूल भाव
वे भक्त ,समाजसुधारक तथा कवी के रूप में हमारे सामने आते है . ... अंत में कवि ईश्वर के गुणों की प्रशंसा करते है की उसके अनंत गुणों का वर्णन करना कठिन है . इस प्रकार प्रस्तुत कविता साखी में कवि ने मूर्ति पूजा ,कर्मकाण्ड तथा बाह्य आडम्बरों का विरोध किया है और ईश्वर प्रेम के प्रति मार्ग प्रसस्त किया है .
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