सूखा पड़ने के कारण, प्रभाव एवं उपाय
Answers
Explanation:
सूखे का कारण===
दक्षिण– पश्चिम मानसून से भारत में वर्षा की मात्रा और पैटर्न जैसे जलवायु परिवर्तन सूखे के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. इसके अलावा दक्षिणी दोलन के अल नीनो (ईएनएसओ) चरण ने भी भारत में सूखे को प्रभावित किया है.
भूमि–उपयोग में परिवर्तन, कृषि के अनुचित तरीके और जल निकासी के मुद्दे. ये सभी मिट्टी के जल अवशोषण क्षमता को कम करते हैं.
प्राकृतिक संसाधनों में कमी, खराब जल प्रबंधन, वनों की कटाई ने सूखे की स्थिति और जोखिम को बढ़ा दिया है.
सूखा का प्रभाव ====सूखे का आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव बदलता रहता है. सूखे की वजह से कृषि में होने वाला नुकसान किसानों की आमदनी और उनके क्रय शक्ति को प्रभावित करता है और उन्हें बेरोजगार बना देता है. साल 2002 के सूखे, जो भारत के गंभीर सूखों में से एक था, ने, इसके 56% भौगोलिक क्षेत्र को प्रभावित किया. साथ ही इसकी वजह से 18 राज्यों के 300 मिलियन लोग और 150 मिलियन पशु प्रभावित हुए.
पेयजल आपूर्ति की कमी और खाद्य असुरक्षा, चारे की कमी, पशुओं की बिक्री में कमी, मिट्टी की नमी और भू– जल तालिका का कम होना, कुपोषण, भुखमरी आदि इसके अन्य परिणाम हैं.
राजस्थान, बुंदेलखंड, कर्नाटक और ओडीशा के इलाके सूखा संबंधित अभाव और संघर्ष के विशेष उदाहरण हैं जबकि छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा आदि जैसे राज्यों में सूखा अनुचित कृषि प्रथाओं और खराब जल प्रबंधन का नतीजा है.
उपाय===सूखा प्रबंधन प्रथाओं ने बड़े पैमानों पर लोगों के लिए प्रतिकूल परिणामों को कम कर दिया. हालांकि, इन प्रयासों को वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण, बेसिन या सूक्ष्म स्तर पर जल का संरक्षण आदि की तरह ही पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन पर अधिक जोर देने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन प्रभावों के आलोक में पूर्व चेतावनी प्रणाली के लिए क्षमता निर्माण और कौशल को बढ़ाने की जरूरत है. राष्ट्रीय वास्तविक समय सूखा निगरानी और मौसम पूर्वानुमान के लिए टॉप– डाउन अप्रोच की जरूरत है. साथ ही राष्ट्रीय कवरेज देने के लिए मौजूदा क्षेत्रीय एवं स्थानीय प्रणालियों पर बनी बॉटम– अप अप्रोच की जरूरत है.