साखी
सतगुरु हमरीझि करि, एक कहा प्रसंग।
बरस्या बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग।
राम नाम के पटतरे, देवे की कछ नाहिं।
क्याले गुर संतोषिए, हाँस रही मन माहिं।12।।
ग्यान प्रकास्या गुर मिल्या, सो जिनि बीसरि जाइ।
जब गोविन्द कृपा करी, तब गुरु मिलिया आइ।।3।।
माया दीपक नर पतंग, अमि मि इवें पड़त।
कहै कबीर गुर ग्यान थे, एक आध उबरंत।।4।।
जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं हम नाहिं।
प्रेम गली अति सॉकरी, तामें दो न समाहि।1511
Answers
Answer:
के बच्चों को पढ़ा पढ़ाकर ही अपने आप को भारी पंडिताइन और समाज सेविका
चार बजते ही कॉलेज से सारी लड़कियाँ लौट
आयीं, पर अरुणा नहीं लौटी। चित्रा चाय के लिए
उसकी प्रतीक्षा कर रही थी।
"पता नहीं, कहाँ कहाँ भटक जाती है, बस इसके पीछे
बैठे रहो।"
"अरे! क्यों बड़-बड़ कर रही है? ले, मैं आ गयी। चल,
बना चाय। मिलकर ही पियेंगे।"
"ये ले कोई चिट्ठी आयी है।" meaning. In telugu
के बच्चों को पढ़ा पढ़ाकर ही अपने आप को भारी पंडिताइन और समाज सेविका
चार बजते ही कॉलेज से सारी लड़कियाँ लौट
आयीं, पर अरुणा नहीं लौटी। चित्रा चाय के लिए
उसकी प्रतीक्षा कर रही थी।
"पता नहीं, कहाँ कहाँ भटक जाती है, बस इसके पीछे
बैठे रहो।"
"अरे! क्यों बड़-बड़ कर रही है? ले, मैं आ गयी। चल,
बना चाय। मिलकर ही पियेंगे।"
"ये ले कोई चिट्ठी आयी है।" meaning. In telugu
के बच्चों को पढ़ा पढ़ाकर ही अपने आप को भारी पंडिताइन और समाज सेविका
चार बजते ही कॉलेज से सारी लड़कियाँ लौट
आयीं, पर अरुणा नहीं लौटी। चित्रा चाय के लिए
उसकी प्रतीक्षा कर रही थी।
"पता नहीं, कहाँ कहाँ भटक जाती है, बस इसके पीछे
बैठे रहो।"
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बना चाय। मिलकर ही पियेंगे।"
"ये ले कोई चिट्ठी आयी है।" meaning. In telugu
Explanation:
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के बच्चों को पढ़ा पढ़ाकर ही अपने आप को भारी पंडिताइन और समाज सेविका
चार बजते ही कॉलेज से सारी लड़कियाँ लौट
आयीं, पर अरुणा नहीं लौटी। चित्रा चाय के लिए
उसकी प्रतीक्षा कर रही थी।
"पता नहीं, कहाँ कहाँ भटक जाती है, बस इसके पीछे
बैठे रहो।"
"अरे! क्यों बड़-बड़ कर रही है? ले, मैं आ गयी। चल,
बना चाय। मिलकर ही पियेंगे।"
"ये ले कोई चिट्ठी आयी है।" meaning. In telugu