सुख-दुख के प्रति दीवानों का दृष्टि करंट कैसा है
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मृत्यु, अंधकार, विषमता, विरह अथवा अपमान आदि के उपस्थित होने पर ही जीवन की अमरता, प्रकाश, अनुकूलता, मिलन अथवा मान-सम्मान के भाव की अनुभूति की जा सकती है। इसी प्रकार यदि दुख नहीं आएगा, तो सुख भी नहीं आएगा, क्योंकि दुख की अनुभूति के बाद ही संभव है सुख की अनुभूति।
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