सांख्यिकी के क्षेत्र की व्याख्या कीजिए class 11 ( 6 marks question ) please help me
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Answer:
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Explanation:
सांख्यिकी का अर्थ :
अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को STATISTICS कहते हैं। सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द State (राज्य) से निकला हुआ है। लैटिन भाषा के State को Status रोमन भाषा में Stato जर्मन भाषा में Statistik तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है। इन सभी शब्दों का अर्थ राज्य से है। राज्य से सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध है। यह शब्द अनेक बार राज्य कार्य में निपुण व्यक्ति के लिए भी प्रयोग हुआ है। भारत में सांख्यिकी का प्रयोग अनेक प्राचीन ग्रन्थों जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र आदि में मिलता है। अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में तीन प्रकार से होता है-आँकड़े, समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज। साधारण प्रयोग में यह आँकड़ों के अर्थ में होता है। सांख्यिकी शब्द का दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ (Device) आती हैं। जो मात्रा सम्बन्धी विवरण का संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है। Statistics (सांख्यिकी) शब्द का दूसरा प्रयोग सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों के रूप में भी होता है; जैसे-जनसंख्या समंकों के रूप में।।
सांख्यिकी का क्षेत्र :
प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकीय विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कहना सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है। तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।
सांख्यिकी का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध :
सांख्यिकी और अर्थशास्त्र का गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों एवं सिद्धान्तों की नींव में सांख्यिकी समंक ही हैं। प्रोफेसर मार्शल ने लिखा है-समंक वे कण है जिनसे प्रत्येक अर्थशास्त्री की। भाँति मुझे भी (आर्थिक नियमों की) ईंटें बनानी पड़ती हैं। अर्थशास्त्र के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों स्वरूपों में सांख्यिकी अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। आर्थिक नियमों का परीक्षण करने हेतु आगमन-निगमन प्रणाली समंकों पर ही आधारित है। अर्थशास्त्र में जनसंख्या का सिद्धान्त, मुद्रा परिमाण सिद्धान्त, वितरण के सिद्धान्त आदि का प्रतिपादन सांख्यिकी द्वारा ही सम्भव हुआ है और इसकी जाँच सांख्यिकीय विधियों द्वारा ही सम्भव है। व्यावहारिक अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के निर्माण में, उनकी प्रगति का मूल्यांकन करने में सांख्यिकी समंक आवश्यक होते हैं। योजनाओं की सफलता को प्रदर्शित करने हेतु चित्रों आरेखों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 3.
सांख्यिकी को परिभाषित कीजिए। सांख्यिकी की सीमाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सांख्यिकी की परिभाषा :
सांख्यिकी की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। क्वेट्लेट ने 1869 में सांख्यिकी की परिभाषाओं की सूची बनाई थी। जॉन ग्रिफिन ने लिखा है, “सांख्यिकी को परिभाषित करना कठिन है।”
बाउले के अनुसार :
“सांख्यिकी गणना का विज्ञान है। एक अन्य स्थान पर बाउले ने लिखा है कि “सांख्यिकी को उचित रूप से साध्यों का विज्ञान कहा जा सकता है।”
सेलिगमैन के अनुसार :
“सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रहित किये गये आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना एवं व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है। सांख्यिकी के क्षेत्र में यह परिभाषा व्यापक मानी जाती है। उपर्युक्त सभी परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि अर्थशास्त्रियों की भाँति सांख्यिकी में भी विषय की परिभाषा के रूप में मतभेद है। यह मतभेद इसलिए भी है क्योंकि सांख्यिकी की आदर्श परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है।
सांख्यिकी की सीमाएँ :
सांख्यिकी की निम्नलिखित सीमाएँ हैं :
केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन :
सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है। गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं करती। अर्थात् सांख्यिकी के अन्तर्गत केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जिनको संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सके; जैसे-आयु, ऊँचाई, उत्पादन, मूल्य, मजदूरी आदि। गुणात्मक स्वरूप प्रकट करने वाले तथ्य का प्रत्यक्ष रूप से विश्लेषणात्मक अध्ययन सांख्यिकी के अन्तर्गत नहीं किया जाता।
समूहों को अध्ययन, व्यक्तिगत ईकाई का नहीं :
सांख्यिकी के अन्तर्गत संख्यात्मक तथ्यों की सामूहिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे-देश की औसत प्रति व्यक्ति आय। यह औसत प्रति व्यक्ति आय केवल सामूहिक विशेषताओं पर ही प्रकाश डालती है।
समस्या के अध्ययन की एक मात्र रीति नहीं :
सांख्यिकीय रीति समस्या के अध्ययन की एकमात्र रीति नहीं है। सांख्यिकीय रीति को प्रत्येक प्रकार की समस्या का सर्वोत्तम हल करने की एकमात्र रीति नहीं समझना चाहिए। सांख्यिकी रीति द्वारा प्राप्त परिणामों को तभी सही मानना चाहिए जब अन्य रीतियों के द्वारा जैसे प्रयोग निगमन आदि की सहायता से या अन्य प्रमाणों से यह पुष्ट हो जाए।
प्राप्त निष्कर्ष भ्रामक हो सकते है :
सांख्यिकी निष्कर्षों को भली भाँति समझने के लिए उनके सन्दर्भो का भी अध्ययन करना आवश्यक है अन्यथा वे असत्य सिद्ध हो सकते हैं।
सांख्यिकी नियम केवल औसत रूप से और दीर्घकाल में ही सत्य :
सांख्यिकी नियम भौतिकी, रसायन विज्ञान अथवा खगोल शास्त्र के नियमों की भाँति पूर्ण रूप से सत्य नहीं होते तथा वे हमेशा तथा सभी परिस्थितियों में लागू नहीं होते। वे केवल औसत रूप में समूहों में दीर्घकाल में ही लागू होते हैं।
विशेषज्ञ ही प्रयोग करें :
सांख्यिकी की एक सीमा यह भी है कि इसका प्रयोग विशेषज्ञों को ही करना चाहिए। क्योंकि अयोग्य या अनभिज्ञ व्यक्ति इसकी रीतियों के प्रयोग से भ्रामक अथवा गलत निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
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