सुखिया के पिता को आकाश के तारे कैसे लग रहे थे ? *
A)अंगारों को भाँति जलते हुए
B)फूल की तरह कोमल
C)दीपक की तरह प्रकाशमान
D)बर्फ की तरह शीतल
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सही विकल्प होगा...
✔ A) अंगारों को भाँति जलते हुए
स्पष्टीकरण ⦂
✎... सुखिया के पिता को आकाश के तारे जलते हुए अंगारों की भांति जलते हुए लग रहे थे।
सियाराम शरण गुप्त द्वारा रचित ‘एक फूल की चाह’ नामक कविता में सुखिया नाम की एक छोटी सी बालिका तथा उसके पिता की मनोपस्थिति का वर्णन किया है।
कवि इन पंक्तियों में कहता है कि...
कितना बड़ा तिमिर आया,
ऊपर विस्तृत महाकाश में,
जलते से अंगारों से
झुलसी-सी जाती थी आँखें,
जगमग जगते तारों से
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