सुखिय के पिता ने किन भावों के साथ मंदिर में प्रवेश किया और इसके क्या परिनाम हुए ? (25-30 शब्दों में )
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सुखिया के पिता को मंदिर के प्रसाद का एक फूल लाना था, अतः वह निराशा में डूब गया, क्योंकि वह सामाजिक स्थिति को जानता था। मंदिर में जैसे ही उसने पुजारी से प्रसाद लिया तभी कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और उन्होंने उसे खूब मारा-पीटा। मंदिर में पुजारी से मिला प्रसाद नीचे बिखर गया। न्यायालय से दण्ड दिया गया
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