सुखिया सब संसार है, खाये अरू सोवै ।
दुखिया दास कबीर है, जागे अरू रोवै
का भावार्थ
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सारा ससार सुखी है खाते और सोते है
दास कबीर दुखी है जब जागते है तब रोते है
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