साल का बी लड़का, कोको का दोस्त
आठ साल का बी लड़का, कोको का दोस्त
तुण
जनता की दुकान का प्रबंधक (इसका अभिनय कोई लंबेकको
लड़का नकली मूछ और चश्मा लगाकर कर सकता है)
साचा कमरा, दीवारों पर बांस की चटाइयाँ। एक दीवार के सहारे रखी
Janwr अलमारी के ऊपर एक रेडियो, चाय की केतली, कुछ कप
otoलो गुलाबी फूलदान रखा है। कमरे के बीच फर्श पर
मावि है जिसके ऊपर कम ऊँचाई वाली गोल
Forvan) यो दरवाजे। एक दरवाज़ा पीछे की ओर
me और दूसरा एक किनारे की ओर। पोज्यों के चहचहाने के साथ-साथ
भाता है। र कहाँ मुर्गा बाँग देता है। कुत्ता भौंकता है। कहीं प्रार्थना को घटियाँ
FA को को आता है, जम्हाई लेकर अपने को सीधा करता है।)
खेतों में चले गए हैं। जब
माता-पिता धान लगाने
को551266
Answers
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Chawal Ki Rotiyan चावल की रोटियाँ
चावल की रोटियां Summary Class 5 Hindi चावल की रोटियां पाठ का सारांश
चावल की रोटियाँ नाटक का उद्देश्य
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चावल की रोटियां शब्दार्थ
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चावल की रोटियां Summary Class 5 Hindi चावल की रोटियां पाठ का सारांश
चावल की रोटियां पाठ एक एकांकी (नाटक) पर आधारित है | इस नाटक का मुख्य किरदार 'कोको' है, जो शारीरिक रूप से थोड़ा मोटा है | वह आठ वर्ष का एक बर्मी लड़का है | उसके तीन बर्मी दोस्त हैं --- नीनी, तिन सू और मिमि | नीनी और तिन सू बर्मी लड़के हैं, जो क्रमश: नौ और आठ साल के हैं | मिमि सात साल की बर्मी लड़की | उ बा तुन जनता की दुकान का प्रबंधक है | कुल मिलाकर नाटक बेहद हास्यस्पद और मनोरंजक है |
नाटक में उल्लेखित पात्र के अनुसार, एक रोज़ कोको अपने माता-पिता के खेत पर चले जाने के बाद उठता है | माँ की गैरहाजिरी में उसे घर की देखभाल भी करना है | उसकी माँ उसके लिए चावल की चार रोटियाँ बनाकर अलमारी में रखकर गई है | कोको को चावल की रोटियाँ बहुत पसंद है | कोको जैसे ही बैठता है रोटी खाने के लिए | वैसे ही उसे दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई देती है | वह दरवाज़ा खोलने जाता, उससे पहले रोटियों को छिपा देता है | तत्पश्चात् दरवाजा खोलता है | दरवाजे पर नीनी होता है | वह तुरन्त कोको से पूछ बैठता है कि उसने दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यूँ लगा दी | कोको नीनी से झूठ बोल जाता है कि वह नाश्ता करके मुँह धोने लगा था | नीनी उसके पास रेडियो पर परीक्षा संबंधी सूचना के बारे में जानकारी लेने आता है | कोको बहाना बनाता है कि उसका रेडियो ख़राब हो गया है | नीनी को सूचना सुनना जरूरी है | इसलिए वह बिना देरी किए तिन सू के घर चला जाता है |
चावल की रोटियाँ
चावल की रोटियाँ
नीनी के जाने के पश्चात् कोको सुकून की साँस लेता है | तत्पश्चात् पुनः चावल की रोटियाँ लेकर खाने बैठने ही वाला रहता है कि दरवाजे पर फिर किसी के आने की आहट सुनाई देती है | इस बार मिमि रहती है | कोको फिर रोटियाँ छिपाने के बाद दरवाज़ा खोलता है | नीनी की तरह मिमि भी पूछ बैठती है कि उसने दरवाजा खोलने में देर क्यों लगाई | कोको फिर से वही बहाना बनाता है, जो नीनी के पूछने पर बनाया था | आगे मिमि उसे बताती है कि अभी-अभी उसकी माँ मुझे मिली थीं | उन्होंने बताया कि तुम्हारे लिए चावल की कुछ रोटियाँ रखी हैं | कोको जल्दी से बोल पड़ता है कि रोटियाँ थीं, लेकिन मैंने सब खा लीं | मिमि कहती है कि अकेले-अकेले खाना बुरी बात होती है | मेरी माँ ने मुझे चार केले के पापड़ दिए, दो तुम्हारे लिए और दो मेरे लिए | चावल की रोटियों के साथ केले के पापड़ का नाश्ता बड़ा अच्छा लगता है | खैर, तुम्हारा पेट तो भर चुका है और तुम अब कुछ खा नहीं सकते | मिमि की बातें सुनकर कोको मन ही मन पछताने लगता है | उसका पेट भूख से गुड़गुड़ाने लगा था | मिमि एक पापड़ उठाकर कोको से चाय माँगती है | कोको उसे बताता है कि चाय अलमारी पर रखी है | मिमि खुद चाय पीने लगती है और कोको से कहती है कि तुम्हारा पेट बहुत भरा हुआ है | अतः चाय भी मत पिओ | उसी समय कोको का पेट फिर भूख से व्याकुल होने लगता है | मिमि के पूछने पर बताता है कि हमारे घर में चूहा घुस आया है | वही यह आवाज कर रहा है |