सिल्वर वेंडिंग के आधार पर यशोधर पंत कि स्वभाव की पांच विशेषताओं पर प्रकाश डालिए
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यशोधर बाबू के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ है –
- यरंयराजाबी – यलधिर बाबू परंपरावादी हैं। उन्हें पुराने रीति–रिवाज अच्छे लगते हैं। वे संयुक्त परिवार क समर्थक हैं। उन्हें पत्नी व बेटी का सँवरना अच्छा नहीं लगता। घर में भौतिक चीजो से उन्हें चिढ है।
- आनुष्ट्र – यशोधर असंतुष्ट व्यक्तित्व के हैँ। उम्हें अपनी संतानों की विचारधारा पसंद नहीं। वे घर रने बाहर जान…बूझकर रहते हैं। उम्हें बेटों का व्यवहार व बेटी का पहनावा अच्छा नहीं लगता। हालस्कि घर में उनसे कोई राय नहीं लेता।
- रूढिवादी – यश–धर कहानी के नायक हैं। वे सेक्शन अस्किसर हैं, परंतु नियमो से बँधे हुए। वस्तु., वे नए परिवेश में मिसफिट हैं। वे नए को ले नहीं सकते, तथा पुराने को छोड़ नहीं सकते।
- सामूहिक्ता – यशीघर बाबू अपनी उन्नति के लिए जितना चिंतित रहते थे, उतना ही अपने धर–परिवार, साथियों और सहकर्मियों की उन्नति के बारे में भी, पर नई मीही अकेली उन्नति करना चाहती है।
- परंपराओं से लगाव – पुरानी मीही अपनी संस्कृति , पापा, रीति–रिवाज से लगाव रखती थी, पर समय के साथ इसमें बदलाव आ गया है और परंपराएँ दकियानूसी लगने लगी हैँ।
- पूर्वजों का आदर – पुरानी मीही अपने बडों तथा पूर्वजों का बहुत आदर करती थी पर समय में बदलाव के साथ ही इस जीबन-मूल्य में छोर गिरावट आई है। आज़ बुजुर्ग अपने ही घर में अपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
- त्याग की भावना – पूरानी मीही के लोगों में त्याग की भावना मजबूत थी। वे दूसरों को पुती देखने के लिए अपना सुख त्याग देते थे। पर बदलते समय में यह भावना विलुप्त होती जा रही है और स्वार्थ-प्रवृस्ति प्रबल होती जा रही है। यह मनुष्यता के लिए हितकारी नहीं है।
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