सामाजिक गतिशीलता में आधुनिक काल में सामाजिक स्थिति कि वर्णन किजिए
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उत्तर:सामाजिक परिवर्तन की अपेक्षा सामाजिक गतिशीलता की गति धीमी होती है । जाति-व्यवस्था वाले समाजों में गतिशीलता का विरोध किया जाता है । यदि कोई व्यक्ति अपनी जाति छेड़कर उच्च जाति की सदस्यता ग्रहण करना चाहता है तो लोग उसका विरोध करते है । भारतीय समाज में भी क्षैतिज और उदग्र दोनों ही प्रकार की गतिशीलता पायी जाती है ।
व्याख्या:सामाजिक गतिशीलता का महत्व एकदम स्पष्ट है। किसी व्यक्ति अथवा समूह द्वारा समाज की स्थिति में अनुभव किया गया कोई परिवर्तन न केवल उस व्यक्ति या समूह पर प्रभाव डालता है बल्कि संपूर्ण समाज पर भी उसका प्रभाव पड़ता है।
निष्कर्ष:पारंपरिक समाज में स्तरीकरण की आरोपित व्यवस्था होती है जिसकी कठोर रूढ़िवादिता होती है और इस प्रकार ये समाज गतिशीलता के लिए तैयार नहीं होते। यह इस धारणा पर आधारित है कि पारंपरिक समाज में उत्पन्न वर्गों के दबाव काफी शक्तिशाली और बंधनकारी होते हैं।
व्याख्या:सामाजिक गतिशीलता का महत्व एकदम स्पष्ट है। किसी व्यक्ति अथवा समूह द्वारा समाज की स्थिति में अनुभव किया गया कोई परिवर्तन न केवल उस व्यक्ति या समूह पर प्रभाव डालता है बल्कि संपूर्ण समाज पर भी उसका प्रभाव पड़ता है।
निष्कर्ष:पारंपरिक समाज में स्तरीकरण की आरोपित व्यवस्था होती है जिसकी कठोर रूढ़िवादिता होती है और इस प्रकार ये समाज गतिशीलता के लिए तैयार नहीं होते। यह इस धारणा पर आधारित है कि पारंपरिक समाज में उत्पन्न वर्गों के दबाव काफी शक्तिशाली और बंधनकारी होते हैं।
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