India Languages, asked by emailtosabiha157, 1 month ago

सामाजिक कार्यक्रमांचे आयोजन करून आम्ही विद्यार्याना पूराळेला भेट देता यावी या संबंधीचे पत्र​

Answers

Answered by IIChillinBabeII
0

\huge\mathcal{\fcolorbox{lime}{black}{\orange{ᴀɴꜱᴡᴇʀ}}}

➪ शहीद हवलदार स्वामी दास चंदेल

मातृभूमि की रक्षा करते हुए 52 सपूतों ने कारगिल युद्ध में अपनी सरजमीं से दुश्मनों को खदेड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें जिला हमीरपुर के आठ शूरवीर भी शामिल थे। हमीरपुर के शहीद हवलदार स्वामी दास चंदेल के नौ वर्षीय बेटे ने उसी समय भारतीय सेना में जाकर पिता की तरह सरहदों की रक्षा करने की ठानी और अब बीते दस वर्षों से मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं।

शहीद हवलदार स्वामी दास के बड़े बेटे मुनीष ने बताया कि जब कारगिल युद्ध में तीन जुलाई 1999 को उनके पिता की शहादत हुई तो उनकी बहन दसवीं कक्षा में, वह स्वयं नौवीं कक्षा में और उनका छोटा भाई रजनीश तीसरी कक्षा में पढ़ते थे। पिता की शहादत पर रजनीश में भी भारतीय सेना में जाकर देश की रक्षा करने की ठानी और वर्ष 2009 में भारतीय सेना में भर्ती हुए।

उन्होंने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं है। किसी भी परिस्थिति में प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता है।  वहीं जिला के अंदराल, ऊहल गांव के शहीद सैनिक दिनेश कुमार की शहादत से पूरा क्षेत्र गौरवान्वित है। शहीद दिनेश अपने पिता कैप्टन भूप सिंह से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।

पिता वर्ष 1997 में सेवानिवृत्त हुए और इसके तीन साल बाद दिनेश पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हो गया। शहीद के भाई राकेश कुमार भी सेना से वर्ष 2009 में सेवानिवृत्त हुए हैं। 17 जून 1999 को शहीद हुए दिनेश की पार्थिव देह को शहीद के भाई ही घर लेकर आए थे। भाई ने कहा कि शहीदों की शहादत को याद कर आज भी आंसू छलकते हैं। उनके पिता कैप्टन भूप सिंह वर्तमान में घर पर ही रहते हैं। 

कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना के एक अधिकारी थे जिन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

जन्म की तारीख और समय: 9 सितंबर 1974, पालमपुर

मृत्यु की जगह और तारीख: 7 जुलाई 1999, कारगिल

युद्ध/झड़पें: कारगिल युद्ध (ऑपेरशन विजय)

माता-पिता: जी० एल० बत्रा, कमल कांता बत्रा

भाई: विशाल बत्रा

इनाम: परमवीर चक्र

Hope It Helps( ꈍᴗꈍ)

\huge{\underline{\mathfrak{❥Sachuuu❣}}}

Answered by Anonymous
2

Answer:

शहीद हवलदार स्वामी दास चंदेल

मातृभूमि की रक्षा करते हुए 52 सपूतों ने कारगिल युद्ध में अपनी सरजमीं से दुश्मनों को खदेड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें जिला हमीरपुर के आठ शूरवीर भी शामिल थे। हमीरपुर के शहीद हवलदार स्वामी दास चंदेल के नौ वर्षीय बेटे ने उसी समय भारतीय सेना में जाकर पिता की तरह सरहदों की रक्षा करने की ठानी और अब बीते दस वर्षों से मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं।

शहीद हवलदार स्वामी दास के बड़े बेटे मुनीष ने बताया कि जब कारगिल युद्ध में तीन जुलाई 1999 को उनके पिता की शहादत हुई तो उनकी बहन दसवीं कक्षा में, वह स्वयं नौवीं कक्षा में और उनका छोटा भाई रजनीश तीसरी कक्षा में पढ़ते थे। पिता की शहादत पर रजनीश में भी भारतीय सेना में जाकर देश की रक्षा करने की ठानी और वर्ष 2009 में भारतीय सेना में भर्ती हुए।

उन्होंने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं है। किसी भी परिस्थिति में प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता है।  वहीं जिला के अंदराल, ऊहल गांव के शहीद सैनिक दिनेश कुमार की शहादत से पूरा क्षेत्र गौरवान्वित है। शहीद दिनेश अपने पिता कैप्टन भूप सिंह से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।

पिता वर्ष 1997 में सेवानिवृत्त हुए और इसके तीन साल बाद दिनेश पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हो गया। शहीद के भाई राकेश कुमार भी सेना से वर्ष 2009 में सेवानिवृत्त हुए हैं। 17 जून 1999 को शहीद हुए दिनेश की पार्थिव देह को शहीद के भाई ही घर लेकर आए थे। भाई ने कहा कि शहीदों की शहादत को याद कर आज भी आंसू छलकते हैं। उनके पिता कैप्टन भूप सिंह वर्तमान में घर पर ही रहते हैं।  

कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना के एक अधिकारी थे जिन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

जन्म की तारीख और समय: 9 सितंबर 1974, पालमपुर

मृत्यु की जगह और तारीख: 7 जुलाई 1999, कारगिल

युद्ध/झड़पें: कारगिल युद्ध (ऑपेरशन विजय)

माता-पिता: जी० एल० बत्रा, कमल कांता बत्रा

भाई: विशाल बत्रा

इनाम: परमवीर चक्र

Explanation:

Similar questions