सामाजिक सुकरीकरण किस प्रकार से होता है ?
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idk i dont speak that language
"किसी कार्य को अकेले करने से और उसी कार्य को बहुत सारे लोगो के सामने करने से कार्य करने की शैली में अंतर पैदा हो जाता है अर्थात उस कार्य का निष्पादन प्रभावित होता है इसको सामाजिक सुकरीकरण कहते हैं।
उदाहरण के लिए आपके किसी दोस्त को किसी कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देनी है वह बहुत प्रतिभाशाली है फिर भी घबराहट का अनुभव कर रहा है आप कल्पना कीजिए कि अपने दोस्त के स्थान पर आप होते तो क्या आप बेहतर ढंग से कार्य का निष्पादन कर पाते या तब कर पाते जब आप अकेले होते। एक शोध के अनुसार ज्ञात हुआ है कि व्यक्ति ऐसे मौकों पर भीड़ की उपस्थिति में बेहतर ढंग से कार्य का निष्पादन कर पाते हैं। जबकि वह अकेले में होते हैं तो उस कार्य को उतना बेहतर ढंग से नहीं कर पाते। दूसरों की उपस्थिति में हम बेहतर ढंग से अपने कार्य का निष्पादन इसलिए कर पाते हैं क्योंकि हमें ‘भाव प्रबोधन’ का अनुभव होता है जो हमें बेहतर ढंग से कार्य करने को उत्प्रेरित करता है। यह ‘भाव प्रबोधन’ का अनुभव हमें क्यों होता है वह इसलिए क्योंकि हमें पता रहता है कि हमारे कार्य का मूल्यांकन किया जा रहा है, इसे ‘मूल्यांकन बोध’ कहते हैं। हमें पता रहता है कि हम अपने कार्य का अच्छी तरह से निष्पादन करेंगे तो हमें प्रशंसा मिलेगी नहीं तो आलोचना और हर कोई प्रशंसा ही चाहता है। प्रशंसा पाने का ये भाव हमें अपने कार्य का निष्पादन अच्छे ढंग से करने के लिए प्रेरित करता है।
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