सामाजिक संरचना का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं की विवेचना
कीजिए।
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Answer:
जिस प्रकार से हमारे शरीर की संरचना होती हैं जो की हमारे शरीर के अंगो जैसे की हाथ,पैर, पेट,नाक-कान, आदि से मिलकर बनती है। उसी प्रकार से सामाजिक संरचना का अभिप्राय समाज की इकाइयों की क्रमबद्धता से होता हैं। सामाजिक इकायां जैसे की समूह, समितियां, संस्थाएं, परिवार, सामाजिक प्रतिमान आदि की क्रमबद्धता को सामाजिक संरचना कहा जाता हैं।
Explanation:
टालकाट पारसन्स के अनुसार; सामाजिक संरचना परस्पर संबंधित संस्थाओं, एजेंसियों और सामाजिक प्रतिमानों तथा समूह मे प्रत्येक सदस्य द्वारा ग्रहण किये गये पदों एवं कार्यों की विशिष्ट क्रमबद्धता को कहते हैं।
इग्गन के अनुसार " अन्त:वैयक्तिक सम्बन्ध सामाजिक संरचना के अंग हैं, जो कि व्यक्तियों द्वारा अधिकृत पद-स्थितियों के रूप मे सामाजिक संरचना के अंग बन जाते है और उसका निर्माण करते हैं।
फोर्टस " व्यक्तियों के बीच पाये जाने वाले पारस्परिक सम्बन्ध ही सामाजिक संरचना के अंग है। इसमे जिन अंगो का समावेश होता हैं, उसकी प्रकृति परिवर्तनशील हैं तथा इनमे पर्याप्त भिन्नता भी है।
मैकाइवर तथा पेज " समूह निर्माण के विभिन्न रूप से सामाजिक संरचना के जटिल प्रतिमान की रचना करते है। सामाजिक संरचना के विश्लेषण मे सामाजिक प्राणियों की विविध मनोवृत्तियो तथा रूचियों के कार्य प्रदर्शित होते हैं। कार्ल मानहीम के शब्दों में; सामाजिक संरचना परस्पर क्रिया मे निहित सामाजिक शक्तियों का जाल है।
लेवीस्ट्रास के अनुसार; एक समाज की संरचना उस समाज मे रहने वाले लोगों के दिमाग की संरचना हैं।
रेडक्लफ ब्राउन के अनुसार; सामाजिक संरचना के अंग मनुष्य ही है और स्वयं संरचना संस्था द्वारा परिभाषित और नियमित संबंधों मे लगे हुये व्यक्तियों की क्रमबद्धता हैं।
गिन्सबर्ग के अनुसार; सामाजिक संरचना का अध्ययन सामाजिक संगठन के प्रमुख स्वरूपों समूह, समितियों तथा संस्थाओं के प्रकार एवं इनकी संपूर्ण जटिलता जिनसे कि समाज का निर्माण होता है, से संबंधित है।