सामाजिक-सांस्कृतिक कारक हमारे प्रत्यक्षण को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
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Explanation:
दूसरे शब्दों में कहें तो भंडारण का अर्थ है वस्तुओं का उनके उत्पादन अथवा खरीद के समय से लेकर उनकी बिक्री अथवा वास्तविक उपयोग के समय तक बड़ी मात्रा में रखना अथवा परीक्षण करना।
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बहुत सारे मनोवैज्ञानिक ने प्रत्यक्षण की प्रक्रिया का अध्ययन विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक स्थितियों में किया है|
हम जानते है की संसार के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग एक दूसरे से भिन्न है |
प्रत्यक्षण को प्रभावित करने वाले कारक सब का अपनी संस्कृति से अपरिचय तथा जीवन के उन्नत मूल्यों से दूरी बढ़ती गई। ... इसके अन्तर्गत सामान्य परिस्थितियों में मनुष्य किस प्रकार का अत: विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्ति कैसा व्यवहार करता है, उसका अध्ययन भी जरूरी है। वह किस प्रकार की सोच रखता? कैसे समाज में अपना जीवन व्यतीत करता है और कैसे अपने अपनी संस्कृति के बारे में सोचता है?
इसका व्यक्ति की अभिक्षमता के आधार पर मनोवैज्ञानिक पूर्व कथन करते हैं कि व्यक्ति को किस कार्य में नियोजित किया जा सकता है|
प्रत्यक्षण पर बहुत सारे अध्ययन करने पर ज्ञात होता है , विभिन्न संस्कृति स्थितियों में रहने वाले लोग जैसे वन में रहने वाले शिकारी और जनसमूह , गांवों में रहने वाले किसान तथा शहरों में काम करने वाले लोग को विविध प्रकार के चित्र देकर उनके प्रत्यक्षण का अध्ययन किया था|
सामाजिक-सांस्कृतिक कारक हमारे प्रत्यक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते है| वह लोगों में प्रत्यक्षिक अनुमान की कुछ आदतों और व्यवहार की प्रमुखता के प्रति विभेदक अंतरंगता उत्पन्न कर कार्य करते है| इस से हमें बहुत सारी बातों और आदतों के बारे में पता चलता है|
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