Hindi, asked by aayushi6067, 5 months ago

सामाजिक सद्भाव पर अनुच्छेद ।​

Answers

Answered by Mayankook
1

ववकास के लिए समाि में शाांति और सद्भाव होना िरूरी है। सामाजिक सौहादद के माहौि में ही

ववकास का काम आगे िढ़िा है और उसका िाभ सिको लमििा है। मनुष्य को एक सामाजिक

प्राणी कहा गया है। वह अके िे बियािान में नहीां रह सकिा। व्यजति स्वभाव से ही समाि में

रहने का आदी है। व्यजति से पररवार िना; फिर पररवार से समुदाय िना और इस िरह ववलभन्न

समुदायों के साथ रहने से समाि की रचना हुई। यानी कोई समाि ववलभन्न समुदायों के मेि से

िनिा है। िाहहर है फक समाि का स्वरूप िहुििावादी होिा है। उसमें अिग-अिग स्वभाव,

रहन-सहन, वेश-भूषा, िोिी-िानी, खान-पान के िोग रहिे हैं। इस ववववधिा के िाविूद उनमें

आपसी प्रेम, भाईचारा, लमत्रिा और एक दसू रे के सुख-दुःुख में शालमि होने की भावना होिी है।

यही सामाजिक सद्भाव है। इससे एक दसू रे के प्रति प्रेम, सहानुभूति, श्रद्धा, करूणा, दया का

भाव मन में पैदा होिा हैऔर हमारे ववचारों में उदारिा आिी है

Answered by Anonymous
4

आजकल समाज में सद्भाव का अभाव नजर आता है। सामाजिक सद्भाव बने रहने से समाज उन्नति करता है और सद्भाव के बिगड़ने से समाज पतनशील बनता है। अब प्रश्न उठता है कि इस सामाजिक सद्भाव को किस प्रकार लाया जाए?

सामाजिक सद्भाव उत्पन्न करने में युवकों का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। युवकों में ऊर्जा होती है। वे किसी भी असंभव काम को संभव कर सकते हैं। नई पीढ़ी को ही समाज की पुनर्रचना करनी है। यदि हम अपने समाज के युवकों के मन में अच्छे विचार पैदा करेंगे तो निश्यच ही उसका फल भी अच्छा ही मिलेगा। युवक सुसंस्कृत होकर शिष्ट नागरिक बनेंगे। ऐसे शिष्ट नागरिक एक सभ्य समाज का निर्माण करेंगे। जब वेे ऐसा काम करेंगे तो सामाजिक सद्भाव तो स्वयं उत्पन्न हो जाएगा।

समाज के सद्भाव को बिगाड़ने मंे सांप्रदायिकता की भावना, स्वार्थप्रवृत्ति तथा क्षुब्ध राजनीतिक इच्छाएँ आदि आती हैं। हमें इससे ऊपर उठना होगा। समाज में समरसता उत्पन्न करनी होगी। यह काम युवा वर्ग भली प्रकार कर सकता है। हमें युवकों की ऊर्जा का सदुपयोग करना चाहिए।

युवक संगठित होकर उन तत्वों से संघर्ष कर सकते हैं जो सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं। उन्हें मानवतावादी दृष्टि से सोचना होगा तथा तद्नुरूप कार्य करना होगा। हमें युवकों पर विश्वास करना होगा, तभी वे दृढ़तापूर्वक कार्य कर सकेंगे।

समाजिक सद्भाव उत्पन्न करने में युवक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। युवकों में उत्साह होता है। वे जो ठान लेते हैं उसे क्रियान्वित करने में सफल भी रहते हैं। समाज का सद््भाव बिगाड़ने में अराजक एवं सांप्रदायिक तत्त्व बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। युवक इन तत्त्वों पर भली प्रकार काबू पा सकते हैं।

समाजिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम कुछ सिरफिरे लोग करते हैं। ऐसे लोग कुछ युवकों को ही भ्रमित करके अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। इनमें कुछ युवक बेरोजगार होते हैं अतः थोड़े से प्रलोभन में इनको ले लिया जाता है। ऐसे लोगों को कुछ राजनेताओं का संरक्षण भी मिल जाता है। वास्तव में वे राजनेता कम दादा किस्म के अधिक होते हैं। ऐसे लोग समाज का सद्भाव बिगाड़कर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। यदि सभी ओर शांति का माहौल बना रहे तो भला इनको कौन पूछे। पहले ये सामाजिक वातावरण में विष घोलते हैं फिर अपनी दादागिरी दिखाते हैं। ऐसे लोगों से युवक भली प्रकार निपट सकते हैं। यदि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले तो उनकी शक्ति सही दिशा में लगाई जा सकती है।

युवा वर्ग ने अनेक अवसरों पर समाज में सद्भाव उत्पन्न करने का काम किया भी है। जब अनेक अवसरों पर संप्रदायिक सद्भाव बिगड़ा है तब युवा वर्ग ने उस स्थिति को सँभालने में अपना योगदान दिया है। पिछले दिनों मुंबई के दंगों में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने की नौबत आ गई थी। इससे पहले उड़ीस में भी सामाजिक सद्भाव बिगड़ने के कगार पर आ गया था, तब युवकों का योगदान सराहनीय रहा।

वर्तमान समय में भी सामाजिक सद्भाव बिगड़ता नज़र आ रहा है। इसको रोकना अत्यंत आवश्यक है। यदि इस पर काबू न पाया जा सका तो देश प्रगति न कर सकेगा। बदलते समय और मूल्यों के अनुसार नया समाज बनाना होगा। इस नव-निर्माण के काम में युवकों का योगदान वांछनीय है। यदि नई पीढ़ी समाज में सद्भाव कायम रखने में योगदान दे सकी तो यह देश के लिए शुभ संकेत होगा। भविष्य में इसी पीढ़ी को इस समाज में रहना है अतः सामाजिक सद्भाव उत्पन्न करना उनके अपने हित की बात है। युवकांें को इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेना होगा।

Similar questions