सामाजिक सद्भावना और भाईचारे की भावना को हराने के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं
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भाईचारे की भावना मन को मन से व हृदय से हृदय को जोड़ती है। परिवार और समाज भाईचारे की भावना पर खड़े हैं। परिवार में समरूपता और सभ्य समाज इसी के परिणाम हैं। भाईचारे के वातावरण में प्रेम एवं सद्भाव की दिव्यता छलकने लगती है। इसके अभाव में वैमनस्य, विघटन, अलगाव और अविश्वास का वातावरण बनता है। समाज में दुर्भावनाएं और कटुता फैलती हैं। भ्रातृत्व की भावना का विकास करना ही एकमात्र समाधान है।
उपनिषद् कहते हैं कि जहाँ भ्रातृत्व भाव होता है, वहाँ सुख, शान्ति और प्रसन्नता छलकती रहती है। एकाकी जीवन और अलगाव में न सुख है और न शान्ति। मनुष्य एक मननशील और सामाजिक प्राणी है। वह समाज से दूर रह कर अकेला जीवन नहीं व्यतीत कर सकता। हमारे जीवन निर्वाह के लिए समाज को सौहार्दपूर्ण वातावरण की आवश्यकता पड़ती ही है।
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