Social Sciences, asked by VishalTete, 6 months ago

सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रावधान का नारीवाद के संदर्भ में वर्णन करें​

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Answered by Anonymous
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===>> नारीवाद, राजनैतिक आन्दोलनों, विचारधाराओं और सामाजिक आंदोलनों की एक श्रेणी है, जो राजनीतिक, आर्थिक, व्यक्तिगत और सामाजिक लैंगिक समानता को परिभाषित करने, स्थापित करने और प्राप्त करने के एक लक्ष्य को साझा करते हैं। इसमें महिलाओं के लिए पुरुषों के समान शैक्षिक और पेशेवर अवसर स्थापित करना शामिल है।

===>> नारीवादी सिद्धांतों का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का जोर प्रजनन संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीड़न, भेदभाव एवं यौन हिंसापर रहता है।

===>> स्त्रीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने।

===>> आधुनिक स्त्रीवादी विमर्श की मुख्य आलोचना हमेशा से यही रही है कि इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। हालाँकि जमीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्तर पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं।

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Answered by hemantsuts012
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Answer:

Concept:

नारीवादी मनोविज्ञान का एक रूप है मनोविज्ञान पर केंद्रित सामाजिक संरचनाओं और लिंग।

Find:

सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रावधान का नारीवाद के संदर्भ में वर्णन करें

Given:

सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रावधान का नारीवाद के संदर्भ में वर्णन करें

Explain:

नारीवादी मनोविज्ञान का एक रूप है मनोविज्ञान पर केंद्रित सामाजिक संरचनाओं और लिंग। नारीवादी मनोविज्ञान ऐतिहासिक मनोवैज्ञानिक अनुसंधान की आलोचना करता है जैसा कि पुरुष दृष्टिकोण से किया जाता है कि पुरुष आदर्श हैं। नारीवादी मनोविज्ञान नारीवाद के मूल्यों और सिद्धांतों पर केंद्रित है।

समाजवादी नारीवाद विचारधारा के अंतर्गत मार्क्स का मानना है कि पूंजीवादी प्रणाली नारियों की अधीनता की अनिवार्य शर्त है । एजेल्स का मानना है कि स्त्री पुरुष का संबंध निजी संपत्ति पर आधारित है। पुरुष स्त्री को निजी संपत्ति मानते हैं। जो रहने और खाने के एवज में उत्तर अधिकारी की व्याख्या व्यवस्था करती है।

मार्क्सवाद मानता है कि पूंजीवाद ही महिलाओं की ही स्थिति के लिए जिम्मेदार है। उनका आक्षेप पूरी तरह से पूंजीवादी व्यवस्था पर है ।

इसके विपरीत समाजवादी नारीवादी मानते हैं कि महिलाओं कमजोर वर्ग के रूप में हैं। यौनिकता (सेक्सुअलिटी) तथा बौद्धिक रूप (इंटेलेक्चुअलिटी) से तथा लिंग संबंध (जेंडर रिलेशन), प्रभुत्व तथा अधीनता पर आधारित होते हैं। इसी कारण समाजवादी नारीवादियों का प्रमुख लक्ष्य है -

महिलाओं का सशक्तिकरण

#SPJ3

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