सामाजिक वानिकी योजना की सफलता का आधार क्या है?
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सामाजिक वानिकी से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न रूपों की चर्चा करते हुए बताइए कि सामाजिक वानिकी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में किस प्रकार मददगार हो सकती है?
12 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
सामाजिक वानिकी का अर्थ बताएँ।
इसके विभिन्न रूपों को बताते हुए बताएँ कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में यह किस प्रकार सहायक है।
सामाजिक वानिकी से तात्पर्य पर्यावरणीय सामाजिक व ग्रामीण विकास के उद्देश्य से वनों का रोपण, संरक्षण, प्रबंधन तथा ऊसर भूमि पर वृक्षारोपण से है।
राष्ट्रीय कृषि आयोग ने सामाजिक वानिकी को तीन वर्गों में बाँटा है– शहरी वानिकी, ग्रामीण वानिकी और फार्म वानिकी।
शहरी वानिकी के अंतर्गत शहरों और उनके आस-पास निजी व सार्वजनिक भूमि, जैसे- पार्क, सड़क के किनारे, औद्योगिक व व्यापारिक स्थलों पर वृक्ष लगाना व उनके प्रबंधन को शामिल किया जाता है।
ग्रामीण वानिकी में कृषि वानिकी और समुदाय कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जाता है। कृषि योग्य भूमि या बंजर भूमि पर फसल व पेड़-पौधे एक साथ उगाना कृषि वानिकी के अंतर्गत शामिल किया जाता है, तो वहीं समुदाय वानिकी में सार्वजनिक भूमि वृक्षारोपण शामिल है। सामुदायिक वानिकी का एक मुख्य उद्देश्य यह होता है कि ग्रामीण भूमिहीन परिवारों को वनीकरण से जोड़ना क्योंकि इसके अंतर्गत गाँव के चारागाह, मंदिर भूमि, सड़क के दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाता है।
फार्म वानिकी के अंतर्गत किसान अपने खेतों में व्यापारिक महत्त्व वाले पेड़ों को लगाते हैं। वन विभाग इसके लिये छोटे व मध्यम किसानों को निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराता है।
सामाजिक वानिकी कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह समस्याओं के समाधान में सहायक हो सकती है। क्योंकि इस कार्यक्रम के तहत एक ही खेत से खाद्यान्न उत्पादन के साथ इमारती लकड़ी और फलों का भी उत्पादन किया जा सकता है। वहीं जलवायु परिवर्तन, जैसी वर्तमान वैश्विक समस्या से सबसे अधिक ग्रामीण जनजीवन एवं गरीब तबके के लोग ही प्रभावित हो रहे हैं तो इनके दुष्प्रभावों को कम करने में सामाजिक वानिकी कार्यक्रम एक महत्त्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकती है। सामाजिक वानिकी के द्वारा मेंढ़ों पर या नदी तटबंधों पर वृक्षारोपण कर मृदा कटाव जैसी समस्याओं को भी काबू कर सकते हैं तो कहीं-न-कहीं यह जल संरक्षण एवं मृदा की उर्वरता को बढ़ाने वाले प्राकृतिक कारक हैं। इस कार्यक्रम के ज़रिये ग्रामीण बेरोज़गारी की समस्या पर भी काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
अतः सामाजिक वानिकी कार्यक्रम को सामाजिक दायित्व के रूप में लेना होगा तथा इसे सामाजिक शिक्षा व तकनीक से जोड़कर इसकी अनिवार्यता पर अत्यधिक बल देना होगा।