सामाज सेवा पर निबंध likhe
Answers
Answer:
समाज सेवा एक पुण्य कार्य हैं, इसके कारण लोग अमर हो जाते है तथा उन्हें सदियों तक याद भी किया जाता हैं. बड़ी से बड़ी सामाजिक बुराई को समाज सेवा रुपी हथियार की मदद से दूर किया जा सकता हैं.गोस्वामी तुलसीदास ने बहुत ही सुंदर पंक्ति लिखी हैं परहित सरिस धर्म नहीं भाई, अर्थात दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं हैं. हमें प्रकृति से परोपकार के गुणों को सीखकर अपनाना चाहिए. प्रकृति हमें प्रकाश, ऊष्मा, जीवन सब कुछ निस्वार्थ ही देती हैं. पेड़ पौधे भी अपना जीवन प्राणियों को समर्पित कर देते हैं. यदि इंसान के दिल से परोपकारी गुण गायब हो गया तो यह संसार पशुवत हो जाएगा, जहाँ चार पैरों के जानवर और मनुष्य में कोई फर्क नहीं रह जाएगा.
किसी समाज अथवा राष्ट्र की उन्नति व प्रगति के लिए सभी लोगों का खुशहाल होना जरुरी हैं. यदि कुछ लोग भी दुखों से पीड़ित रहेगे तो वह समाज आगे नही बढ़ पाएगा. यदि समाज के एक तबके के पास सुख सुविधा हो और दूसरे लोग कष्ट से जीवन यापन कर रहे है तो वह समाज निश्चय ही दुर्गति को प्राप्त होगा. दुःख की तासीर ही उतनी कष्टदायक होती है कि जो लोग भी सुख सम्पन्न है वे पीड़ितों को दुखी देखकर सुखी जीवन नहीं जी पाएगे.
रोग, गरीबी या प्रताड़ना से युक्त सामाजिक वातावरण में कभी भी सुख सम्रद्धि का वास नहीं होता हैं. समाज की खुशहाली में इन बाधकों को तभी दूर किया जा सकता हैं. जब प्रत्येक नागरिक निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर अपने समाज के पीड़ित एवं दुखी लोगों की मदद करे. क्योंकि समाज के बिना किसी भी व्यक्ति का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रह जाता हैं. सर्वशक्तिमान व्यक्ति भी यह दावा नहीं कर सकता कि उसने कभी किसी का सहयोग नहीं लिया अथवा भविष्य में नहीं लेगा. हमें जीवन निर्वाह के लिए प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से शेष समाज से सहयोग की जरूरत होती हैं. ऐसे में अपने ह्रदय में भी समाज सेवा के भाव रखकर उपेक्षित, वंचित या पीड़ित व्यक्ति की मदद जरुर करें.
Answer:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है। जिस प्रकार मनुष्य को अपने परिवार के प्रति कुछ कर्तव्य होते हैं, उसी प्रकार उसे समाज के प्रति भी कुछ कर्तव्य होते हैं। इन कर्तव्यों को करना ही समाज-सेवा है। लेकिन, प्रत्येक व्यक्ति समूचे समाज के बारे में नहीं सोचता है। वह केवल अपने और अपने परिवार के बारे में सोचता है। ऐसे व्यक्ति को असामाजिक कहा जाता है।
हमारे समाज में कुछ आदमी हैं, जो सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। एक सच्चा सामाजिक कार्यकर्त्ता सभी लोगों के साथ एक समान भलाई का कार्य करता है। वह स्वार्थरहित होता है और उसे अपनी सेवा के लिए उसे किसी _पुरस्कार की आवश्यकता नहीं होती है। वह इसका लाभ लेना नहीं चाहता।समाज सेवा एक पुण्य कार्य हैं, इसके कारण लोग अमर हो जाते है तथा उन्हें सदियों तक याद भी किया जाता हैं. बड़ी से बड़ी सामाजिक बुराई को समाज सेवा रुपी हथियार की मदद से दूर किया जा सकता हैं. ... यदि समाज के एक तबके के पास सुख सुविधा हो और दूसरे लोग कष्ट से जीवन यापन कर रहे है तो वह समाज निश्चय ही दुर्गति को प्राप्त होगाहमारे समाज में कुछ आदमी हैं, जो सच्चे सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं। एक सच्चा सामाजिक कार्यकर्त्ता सभी लोगों के साथ एक समान भलाई का कार्य करता है। वह स्वार्थरहित होता है और उसे अपनी सेवा के लिए उसे किसी पुरस्कार की आवश्यकता नहीं होती है। वह इसका लाभ लेना नहीं चाहता। वह समाज की भलाई के लिए हमेशा कुछ करना चाहता है। इस प्रकार, एक समाज सेवक सामान्य लोगों के भलाई के लिए सबकुछ करता है।