सामान्य क्षय एवं असामान्य क्षय में अन्तर बताइए |
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आसामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology) मनोविज्ञान की वह शाखा है जो मनुष्यों के असाधारण व्यवहारों, विचारों, ज्ञान, भावनाओं और क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करती है। असामान्य या असाधारण व्यवहार वह है जो सामान्य या साधारण व्यवहार से भिन्न हो। साधारण व्यवहार वह है जो बहुधा देखा जाता है और जिसको देखकर कोई आश्चर्य नहीं होता और न उसके लिए कोई चिंता ही होती है।[1]
वैसे तो सभी मनुष्यों के व्यवहार में कुछ न कुछ विशेषता और भिन्नता होती है जो एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न बतलाती है, फिर भी जबतक वह विशेषता अति अद्भुत न हो, कोई उससे उद्विग्न नहीं होता, उसकी ओर किसी का विशेष ध्यान नहीं जाता। पर जब किसी व्यक्ति का व्यवहार, ज्ञान, भावना, या क्रिया दूसरे व्यक्तियों से विशेष मात्रा और विशेष प्रकार से भिन्न हो और इतना भिन्न होकि दूसरे लोगों को विचित्र जान पड़े तो उस क्रिया या व्यवहार को असामान्य या असाधारण कहते हैं।
इसका विषय-वस्तु मूलतः अनाभियोजित व्यवहारों (maladaptive behaviour), व्यक्तित्व अशांति (Personality disturbances) एवं विघटित व्यक्तित्व (disorganized personality) का अध्ययन करने तथा उनके उपचार (treatment) के तरीकों पर विचार करने से संबंधित है। असामान्य मनोविज्ञान के अन्तर्गत के अन्तर्गत आने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण विषय हैं-
नैदानिक वर्गीकरण एवं मूल्यांकन (clinical classification assessment),
असामान्य व्यवहार के सामान्य सिद्धान्त एवं मॉडल,
असामान्य व्यवहार के कारण,
स्वप्न, चिंता विकृति (Anxiety disorder),
मनोविच्छेदी विकृति, मनोदैहिक विकृति, व्यक्तित्व विकृति,
द्रव्य-संबंद्ध विकृति, मनोदशा विकृति (Mood disorder), मनोविदलता, (Schizophrenia),
व्यामोही विकृति, (Delusional disorder), मानसिक मंदन, (Mental retardation),
मनश्चिकित्सा (Psychotherapy) आदि