सामान्य मूल्य से क्या आशय है?
उत्त्तर:
किसी वस्तु का वह मूल्य जो दीर्घकाल में पाया जाता है तथा इसमें माँग वे पूर्ति का सन्तुलन स्थायी होता है।
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Answer:
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Answer:
अर्थशास्त्र में सामान्य मूल्य से आशय है किसी वस्तु का वह मूल्य जो वस्तु की माँग व पूर्ति की। स्थायी शक्तियों द्वारा दीर्घकाल में निश्चित होता है। यह माँग व पूर्ति के स्थायी साम्य का परिणाम होता है। यह मूल्य दीर्घकाल तक रहता है; अत: यह मूल्य स्थिर रहता है तथा लागत मूल्य के बराबर होता है।
Explanation:
अर्थशास्त्र में सामान्य मूल्य से आशय है किसी वस्तु का वह मूल्य जो वस्तु की माँग व पूर्ति की। स्थायी शक्तियों द्वारा दीर्घकाल में निश्चित होता है। यह माँग व पूर्ति के स्थायी साम्य का परिणाम होता है। यह मूल्य दीर्घकाल तक रहता है; अत: यह मूल्य स्थिर रहता है तथा लागत मूल्य के बराबर होता है।
अर्थशास्त्र में सामान्य मूल्य से आशय है किसी वस्तु का वह मूल्य जो वस्तु की माँग व पूर्ति की। स्थायी शक्तियों द्वारा दीर्घकाल में निश्चित होता है। यह माँग व पूर्ति के स्थायी साम्य का परिणाम होता है। यह मूल्य दीर्घकाल तक रहता है; अत: यह मूल्य स्थिर रहता है तथा लागत मूल्य के बराबर होता है। परिभाषा – मार्शल के अनुसार, “किसी निश्चित वस्तु का सामान्य मूल्य वह है जो कि अधिक शक्तियों द्वारा दीर्घकाल में निर्धारित होता है। इस मूल्य पर माँग की अपेक्षा पूर्ति का अधिक प्रभाव होता है, क्योंकि दीर्घकाल में पूर्ति में परिवर्तन लाया जा सकता है। सामान्य मूल्य के निम्नलिखित लक्षण या विशेषताएँ हैं 1. यह दीर्घकाल में होता है – माँग और पूर्ति के सन्तुलन का परिणाम दीर्घकाल में होने के कारण इसे दीर्घकालीन मूल्य कहते हैं। 2. सामान्य मूल्य के निर्धारण में पूर्ति का अधिक महत्त्व होता है – इस पर माँग की अपेक्षा पूर्ति का अधिक प्रभाव हैं, क्योंकि दीर्घकाल में पूर्ति को माँग के अनुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता है। 3. मॉग व पूर्ति के सन्तुलन का स्थायी परिणाम होता है – दीर्घकाल में पूर्ति को माँग के साथ समन्वय का पूरा समय मिल जाता है। इस कारण यह माँग व पूर्ति के स्थायी साम्य का परिणाम होता है। 4. यह सीमान्त व औसत लागत के बराबर होता है – दीर्घकाल में समयावधि इतनी लम्बी होती है कि सीमान्त लागत औसत लागत के बराबर हो जाती है। अत: सामान्य मूल्य सीमान्त व औसत दोनों लागतों के बराबर होता है। 5. यह काल्पनिक होता है – यह व्यावहारिक जीवन में सम्भव नहीं होता है। यह केवल काल्पनिक होता है। 6. यह मूल्य स्थिर रहता है – इसके मूल्य में बाजार मूल्य की तरह परिवर्तन नहीं होते। यह स्थायी रहता है। 7. सामान्य मूल्य धुरी के समान होता है – इस मूल्य के चारों ओर बाजार मूल्य चक्कर काटा करता है। अतः यह धुरी के समान होता है।
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