साम्प्रदायिकता और जातिवाद में समानताओं की व्याख्या कीजिए। class 10
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जाति के प्रति उग्र लगाव की भावना को जातिवाद कहते हैं।
सांप्रदायिकता एक ऐसी भावना है जिसके अंतर्गत किसी धर्म अथवा भाषा के आधार पर किसी समूह विशेष के हितों को राष्ट्रीय हितों से अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
जातिवाद के सकारात्मक प्रभाव:
- जातिवाद से लोगों में सामाजिकता एवं एकता की भावना का विकास होता है।
- जाति एवं राजनीति के संबंधों ने लोगों को एक सूत्र में बाँधने का काम किया है। दूर-दूर रहने वाले जाति के लोग जातीय पंचायतों में एक – दूसरे के संपर्क में आते हैं।
- जाति की राजनीति ने अधिक लोगों में राजनीतिक सक्रियता पैदा की है। जातीय संगठनों में सक्रिय लोग राजनीति में भी सक्रिय हो जाते हैं।
- जातिवाद के कारण सामाजिक संरचना में परिवर्तन आया है।
- जाति की राजनीति ने समाज की संस्कृति को प्रभावित किया है। समाज की सभी जातियों के खान – पान, वेशभूषा, रहन – सहन, आचार-विचार में निम्न जातियाँ उच्च जातियों का अनुसरण करती हैं। इससे समाज में सांस्कृतिक एकता की स्थापना होती है।
जातिवाद का नकारात्मक प्रभाव:
- जाति के आधार पर चुनाव लड़ना एवं जातिगत आग्रह के आधार पर मतदान करना जातिवाद का ही परिणाम है।
- जातिवादी भावना के कारण नागरिकों की श्रद्धा एवं भक्ति बँट जाती है। लोग राष्ट्रीय हितों के बजाय जातीय हितों को प्राथमिकता देते हैं।
- जातिवादी सोच रूढ़िवादिता को बढ़ावा देती है, जिसमें वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील दृष्टिकोण का विकास नहीं हो पाता।
- जातिवाद के कारण सरकारें बड़े एवं शक्तिशाली जातीय संगठनों के दबाव में कार्य करती हैं।
- जातिवाद स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व जैसे लोकतंत्रीय मूल्यों को नुकसान पहुँचाता है। समाज में फूट, विखंडन एवं संकीर्ण हितों को प्रोत्साहित करता है।
- जातिवाद से समाज में संघर्ष व वैमनस्यता की समस्या उत्पन्न होती है।
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