Hindi, asked by samridhi1911, 9 months ago

सोमेश्वर की घाटी के उत्तर में ऊँची पर्वतमाला है, उसी पर बिल्कुल शिखर पर कौसानी बसा हुआ है। कौसानी से दूसरी ओर फिर ढाल शुरू हो जाती है। कौसानी के अड्डे पर जाकर बस रुकी। छोटा-सा, बिल्कुल उजड़ा-सा गाँव और बर्फ का तो कहीं नाम-निशान नहीं। बिल्कुल ठगे गये हम लोग। कितना खिन्न था मैं। अनखाते हुए बस से उतरा कि जहाँ था वहीं पत्थर की मूर्ति-सा स्तब्ध खड़ा रह गया। कितना अपार सौंदर्य बिखरा था, सामने की घाटी में। इस कौसानी की पर्वतमाला ने अपने अंचल में यह जो कत्यूर की रंग-बिरंगी घाटी छिपा रखी है। इसमें किन्नर और यक्ष ही तो वास करते होंगे।
पचासों मील चौड़ी यह घाटी, हरे मखमली कालीनों जैसे खेत, सुंदर गेरू की शिलाएँ काटकर बने हए लाल-लाल रास्ते, जिनके किनारे-किनारे सफेद-सफेद पत्थरों की कतार और इधर-उधर से आकर आपस में उलझ जानेवाली बेलों की लडियों-सी नदियाँ। मन में तो बस यही आया कि इन बेलों की लड़ियों को उठाकर कलाई में लपेट लँ, आँखों से लगा लूँ। अकस्मात् हम एक-दूसरे लोक में चले आए थे। इतना सुकुमार, इतना सुंदर, इतना सजा हुआ और इतना निष्कलंक कि लगा इस धरती पर तो जूते उतारकर, पाँव पोंछकर आगे बढ़ना चाहिए। धीरे-धीरे मेरी निगाहों ने इस घाटी को पार किया और जहाँ ये हरे खेत और नदियाँ और वन, क्षितिज के धुंधलेपन में, नीले कोहरे में धुल जाते थे, वहाँ पर कुछ छोटे पर्वतों का आभास, अनुभव किया, उसके बाद बादल थे और फिर कुछ नहीं।

प्रश्नः 1.गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

प्रश्नः 2.लेखक को पहाड़ी नदियाँ किसके समान दिख रही थी?

प्रश्नः 3.लेखक को ऐसा क्यों लगा कि वह ठगा जा चुका है ?

प्रश्नः 4.कौंसानी की पर्वतमाला की सुंदरता का रहस्य क्या है

प्रश्नः 5.कौसानी का सौंदर्य लेखक को कैसा लगा? इसे देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया?​

Answers

Answered by hemayashnahata
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Answer:

kosani ka adbhut sondrye

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