'स्मृति' कहानी हमें बच्चों की दुनिया से सच्चा परिचय कराती है तथा बाल मनोविज्ञान का सफल चित्रण करती है। इससे आप कितना सहमत है स्पष्ट कीजिए?
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स्मृति’ कहानी का समूचा कथानक बच्चों की दुनिया के आसपास ही घूमता है। इसमें एक ओर बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण है तो बाल सुलभ क्रीड़ाओं का संचार भी रचा-बसा है। इसके अलावा बालकों के साहस, बुद्धि, उत्साह के कारण खतरे को अनदेखा करने जैसे क्रियाकलापों का भी उल्लेख है। कहानी की शुरुआत में ही बच्चों को कड़ी ठंड में झरबेरी तोड़कर खाते हुए चित्रित किया गया है, जिसमें उन्हें असीम आनंद मिलता है परंतु भाई द्वारा बुलाए जाने की बात सुनकर यह आनंद तुरंत भय में बदल जाता है परंतु भाई का पत्र लिखता देख उसके मन से भय गायब हो जाता है।
बच्चे स्कूल जाते हुए उछल-कूद और हँसी मजाक ही नहीं वरन् तरह-तरह की शरारतें भी करते हैं। वे कुएँ में पड़े साँप की फुफकार सुनने के लिए उसमें मिट्टी का ढेला फेंककर हर्षित होते हैं। गलती हो जाने पर वे पिटाई से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने सोचते हैं तो समय पर जि मेदारी की अनुभूति करते हैं और जान जोखिम में डालने से भी पीछे नहीं हटते हैं। इस तरह यह कहानी बाल मनोविज्ञान का सफल चित्रण करती है।
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