'सामंत प्रथा के गुण लिखें।
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सामंतवाद (Feudalism / फ्युडलिज्म) मध्यकालीन युग में इंग्लैंड और यूरोप की प्रथा थी। इन सामंतों की कई श्रेणियाँ थीं जिनके शीर्ष स्थान में राजा होता था। उसके नीचे विभिन्न कोटि के सामंत होते थे और सबसे निम्न स्तर में किसान या दास होते थे। यह रक्षक और अधीनस्थ लोगों का संगठन था। राजा समस्त भूमि का स्वामी माना जाता था। सामंतगण राजा के प्रति स्वामिभक्ति बरतते थे, उसकी रक्षा के लिए सेना सुसज्जित करते थे और बदले में राजा से भूमि पाते थे। सामंतगण भूमि के क्रय-विक्रय के अधिकारी नहीं थे। प्रारंभिक काल में सामंतवाद ने स्थानीय सुरक्षा, कृषि और न्याय की समुचित व्यवस्था करके समाज की प्रशंसनीय सेवा की। कालांतर में व्यक्तिगत युद्ध एवं व्यक्तिगत स्वार्थ ही सामंतों का उद्देश्य बन गया। साधन-संपन्न नए शहरों के उत्थान, बारूद के आविष्कार, तथा स्थानीय राजभक्ति के स्थान पर राष्ट्रभक्ति के उदय के कारण सामंतशाही का लोप हो गया।.
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सामंत प्रथा के कारण शासन की प्रणाली में बदलाव आया और समाज के विभिन्न वर्गों को स्थानांतरित करने का प्रयास किया
Explanation:
सामंत प्रथा एक ऐसी प्रथा थी जो भारत के इतिहास में मुख्य रूप से मध्यकालीन युग में मौजूद थी। इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य था कि समाज के विभिन्न वर्गों को स्थानांतरित करने के लिए जिससे साम्राज्य को संभालने में मदद मिलती थी।
सामंत प्रथा के गुण निम्नलिखित हैं:
सामंत प्रथा के अनुयायी धर्म-आधारित थे और उन्होंने संचार तथा संस्कृति के विकास के लिए अपना योगदान दिया।
सामंतों ने अपने प्रदेशों का संचालन करने के लिए स्वयं राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक प्रबंधन की जिम्मेदारी ली।
सामंत प्रथा के कारण देश का क्षेत्रफल विस्तृत हुआ और उसके भीतर विविधता का संरक्षण हुआ।
सामंतों ने अपने क्षेत्र में कला, संस्कृति, साहित्य और शिक्षा को बढ़ावा दिया और उनके द्वारा विविध कलाकृतियों का निर्माण किया गया।
सामंत प्रथा के कारण शासन की प्रणाली में बदलाव आया और समाज के विभिन्न वर्गों को स्थानांतरित करने का प्रयास किया
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