Hindi, asked by pghanekar014, 5 months ago

सुमंत राजे, प्रभात रोड औरंगाबाद से मा. व्यवस्थापक अजब बुक डीपो, नाशिक को पत्र लिखकर शालोपयोगी साहित्य की मांग करते हुए पत्र लिखता हू (5 गुण )​

Answers

Answered by surjeetsingh44832
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Explanation:

पत्र-लेखन कला पत्रों का मानव-जीवन से सीधा संबंध है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्‍ति हो, जिसे जीवन में कभी पत्र लिखने की आवश्यकता न पड़ी हो। अगर किसी को पत्र लिखने का अवसर न मिला हो तो प्राप्‍त करने का तो अवश्य ही मौका मिला होगा। आम आदमी के बीच आज के इलेक्ट्रॉनिक साधनों के कारण पत्र भले ही अति महत्त्वपूर्ण नहीं रह गया हो, लेकिन सरकारी कार्यालयों में आज भी इसकी आवश्यकता ज्यों-की-त्यों बनी हुई है, बल्कि और बढ़ गई है। यूँ तो पत्र-लेखन पर अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन किसी पुस्तक में शायद ही संपूर्णता हो। यह पुस्तक सर्वांगीण है, पत्र-लेखन के सभी वैशिष्‍ट्यों का इसमें समावेश है। कार्यालयों और सचिवालयों के कर्मियों के लिए विशेष कारगर सिद्ध होगी, जिन्हें पत्र-लेखन के बारे में इससे विशेष सहायता प्रप्‍त होगी। आशा है यह सरल-सुबोध पुस्तक विद्यार्थियों, परीक्षार्थियों एवं कार्याल्यों के कर्मियों के लिए ही नहीं, पत्राचार करनेवाले सामान्य व्यक्‍ति के लिए भी उतनी ही उपयोगी और कारगर सिद्ध होगी।.

Answered by shendedurga03
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sumant raje,prabat road, aurangabad se ma veyasthapak, ajk juk depo nashek ko patra likar shara prayoge sahitye ki mang karne hue patar likhte hay

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