सुमित्रानंदन पंत प्रकृति चित्रण के सर्वोत्तम कवि हैं स्पष्ट कीजिए
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सुमित्रानंदन पंत का प्रकृति चित्रण सबसे अच्छा बताया जाता है. वे झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भंवरा गुंजन, उषा किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने.
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सुमित्रानंदन पंत प्रकृति की कविताएँ लिखने के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस कविता में प्राकृतिक सुंदरता को बहुत अच्छी तरह से समझाया है कि पाठक भी दृश्य का आनंद लेने में सक्षम हैI कतर्र्र सुतमत्रानन्दन पन्त के काव्य में प्रकृ ति के सुकु मार-मधुर रूप की अनेक झााँतकयााँ देखने क
तमलिी हैं। पाठ्य-पुस्तक में पन्त की ‘पर्वि प्रदेश में पार्स’ कतर्िा इस दृति से द्रिव्य है। इसमें पर्विीय
भाग ़ों में र्र्ाव ऋिु आने पर ि पररर्िवन आ िािे हैं, उनका हृदयग्राही तचत्रर् तकया गया है। पर्वि ़ों पर
बादल उमड-घुमड कर छा िािे हैं। र्हााँ पर र्र्ाव ह ने से हररयाली फै ल िािी है, पुष्प खखल िािे हैं और
झरने पूरे र्ेग के साथ झर-झर शब्द करिे हुए बहने लगिे हैं। पर्वि की िलहटी में सारे सर र्र िल से भर
िािे हैं।
उनसे भाप उठिी है ि धुएाँ के समान प्रिीि ह िी है। र्ह भाप तफर से बादल बन िािी है। झरने म तिय ़ों
की लतडय ़ों की िरह सुन्दर लगिे हैं और उनका झर-झर पर्वि का गौरर्गान लगिा है। बादल भी िेिी से
उडने लगिे हैं, ि कभी एक ही िगह पर खथथर रहिे हैं।
बादल ़ों के घटाट प से शाल के लम्बे र्ृक्ष धरिी में ध़ोंसे हुए-से लगिे हैं। इस प्रकार सम्पूर्व कतर्िा में
र्र्ावकाल के प्राकृ तिक पररर्ेश का मन हारी तचत्रर् तकया है। अन्त में प्रकृ ति क बचपन की मन रम तमत्र
बातलका के समान हृदय की तचिेरी बिाया है। इस प्रकार इसमें प्रकृ ति के प्रति कतर् की आत्मीय भार्ना
का प्रकाशन हुआ है। इससे तसद्ध ह िािा है तक कतर् पन्त प्रकृ ति के सुकु मार कतर् एऱ्ों कु शल तचिेरे हैं।