Hindi, asked by Svaishnavsv66, 1 year ago

सुमित्रानंदन पंत पर कविता

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Answered by Sau212
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अंतर्धान हुआ फिर देव विचर धरती पर,
स्वर्ग रुधिर से मर्त्यलोक की रज को रँगकर!
टूट गया तारा, अंतिम आभा का दे वर,
जीर्ण जाति मन के खँडहर का अंधकार हर!

अंतर्मुख हो गई चेतना दिव्य अनामय
मानस लहरों पर शतदल सी हँस ज्योतिर्मय!
मनुजों में मिल गया आज मनुजों का मानव
चिर पुराण को बना आत्मबल से चिर अभिनव!

आओ, हम उसको श्रद्धांजलि दें देवोचित,
जीवन सुंदरता का घट मृत को कर अर्पित
मंगलप्रद हो देवमृत्यु यह हृदय विदारक
नव भारत हो बापू का चिर जीवित स्मारक!

बापू की चेतना बने पिक का नव कूजन,
बापू की चेतना वसंत बखेरे नूतन!

Svaishnavsv66: Thank you
Svaishnavsv66: Didi or bhaiya whatever u are
Sau212: i am bhaiya
Sau212: what is your full name?
Svaishnavsv66: Richa Vaishnav
Sau212: nice name
Svaishnavsv66: Thanks
Svaishnavsv66: And what is your full name
Sau212: saurabh pandey
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