"सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित प्रकृति पर आधारित" एक कविता लिखें
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आलोकित हो उठता सुख से मेघों का नभ चंचल, अंतरतम में एक मधुर स्मृति जग जग उठती प्रतिपल! कम्पित करता वक्ष धरा का घन गभीर गर्जन स्वर, भू पर ही आगया उतर शत धाराओं में अंबर! भीनी भीनी भाप सहज ही सांसों में घुल मिल कर एक और भी मधुर गंध से हृदय दे रही है भर!
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