स्मात् शुभ कार्य में विघ्न की तरह उग्र रूप धारण किए हुए विश्वेश्वर वहाँ आ1) शुभ कार्य' और 'विघ्न' शब्दों का प्रयोग किस-किस संदर्भ में किया गया है ?
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हिंदी में शुद्ध सात्विक भावोद्गारों के लिए गुप्त जी की रचनाएँ स्मरणीय रहेंगी। उनमें जीवन के श्रृंगार और उग्र पक्षों का चित्रण नहीं हो सका किंतु जीवन के प्रति करुणा का भाव जिस सहज और प्रत्यक्ष विधि पर गुप्त जी में व्यक्त हुआ है उससे उनका हिंदी काव्य में एक विशिष्ट स्थान बन गया है।
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