History, asked by malikamal6532, 3 months ago

सामंती व्यवस्था के दोसो का वरणन कीजिए

Answers

Answered by homework854
3

Answer:

सामंतवाद के दोष (samantvad ke dosh)

उच्च वर्ग को प्राप्त असीमित अधिकारो तथा उनके शोषण की प्रवृत्ति ने उच्च एवं निम्न वर्ग के सम्बन्धो मे कटुता पैदा कर दी थी। सामंतवादी व्यवस्था के अंतर्गत अपने से नीचे के वर्ग का शोषण करना, उच्च वर्ग अपना अधिकार मानता था।

Answered by nehaparveen75
3

Answer:

समामन्तवादी व्यवस्था मे कई दोष थे। इसी कारण आधुनिक यूग के आगमन के साथ ही मध्यकालीन यह व्यवस्था ढह गयी। इस व्यवस्था के कारण समाज अनेक वर्गो मे बंट गया था। उच्च वर्ग को प्राप्त असीमित अधिकारो तथा उनके शोषण की प्रवृत्ति ने उच्च एवं निम्न वर्ग के सम्बन्धो मे कटुता पैदा कर दी थी।

सामंतवादी व्यवस्था के अंतर्गत अपने से नीचे के वर्ग का शोषण करना, उच्च वर्ग अपना अधिकार मानता था। उच्च वर्ग के इन विशेषाधिकारो को समाप्त करने मे यूरोप की जनता को सदियों तक संघर्ष करना पड़ा। सामंतवादी व्यवस्था के कारण युद्धों को भी बढ़ावा मिला। प्रत्येक सामंत की अपनी अलग सेना होती थी एवं अपनी जागीर को बढ़ाने हेतु वे समय-समय पर सेना का प्रयोग करते थे, जिससे जनसाधारण को अपार कष्टों का सामना करना पड़ता था। इन युद्धों से कृषि तथा व्यापार प्रभावित होता था, जिससे देश की आर्थिक स्थिति पर दुष्प्रभाव होता था। इसके अलावा, सामंतवादी व्यवस्था के कारण मध्यकाल मे यूरोप मे शक्तिशाली देशों का आविर्भाव न हो सका, क्योंकि प्रत्येक देश छोटे-छोटे राज्यों मे विभक्त था, जिनके सामंतो पर राजा का विशेष नियंत्रण न था। इसका कारण यह था कि कई सामंत अपने राजा से भी ज्यादा शक्तिशाली थे। साधारण जनता को राजनीतिक अधिकार प्राप्त न थे एवं प्रजा तथा राजा के मध्य कोई सीधा सम्पर्क न था। अतः जनसाधारण का जीवन अत्यंत कष्टदायी था। साधारण जनता अत्यधिक शोषण की शिकार थी। उद्योग धन्धों के विकसित न होने के कारण जनसाधारण को जीवनयापन के लिए कृषि पर ही निर्भर रहना पड़ता था, जो पूर्णतः सामंतो के ही नियंत्रण मे थी।

Similar questions