सामुदायिक क्षेत्रों में कौन सी गतिविधियां आती है
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Answer:
समुदाय के दो प्रकार बताये गये हैं :-
ग्रामीण समुदाय
नगरीय समुदाय
(1) ग्रामीण समुदाय- संपादित करें
प्रारम्भिक काल से ही मानव जीवन का निवास स्थान ग्रामीण समुदाय रहा है। धीरे-धीरे एक ऐसा समय आया जब हमारी ग्रामीण जनसंख्या चरमोत्कर्श पर पहॅुच गयी। आज औधोगीककरण, शहरीकरण का प्रभाव मानव को शहर की तरफ प्रोत्साहित तो कर रहा है लेकिन आज भी शहरीय दूषित वातावरण से प्रभावित लोग ग्रामीण पवित्रता एवं शुद्धता को देख ग्रामीण समुदाय में बसने के लिये प्रोत्साहित हो रहा है। आज ग्रामीण समुदाय के बदलते परिवेष में ग्रामीण समुदाय को परिभाशित करना कठिन है ।
ग्रामीण समुदाय की विशेषतायें - संपादित करें
ग्रामीण समुदाय की कुछ ऐसी विशेषतायें होती हैं। जो अन्य समुदाय में नहीं पार्इ जाती है ग्रामीण समदु ाय में पाये जाने वाला प्रतिमान एक विशेष प्रकार का होता है। जो आज भी कुछ सीमा तक नगर सुमदाय से भिन्न है ग्रामीण सुमदाय की विशेषताओं में प्रमुख हैं।
1. कृषि व्यवसाय,
2. प्राकृतिक निकटता,
3. जातिवाद एंव धर्म का अधिक महत्व,
4. सरल और सादा जीवन,
5. संयुक्त परिवार,
6. सामाजिक जीवन मे समीपता,
7. सामुदायिक भावना,
8. स्त्रियों की निम्न स्थिति,
9. धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास,
10. भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य !
कृषि व्यवसाय - ग्रामीण अचल में रहने वाले अधिकाधिक ग्रामवासियों का खेती योग्य जमीन पर स्वामित्व होता है, खेती करना और कराना उन्हें परिवार के वयोवृद्व सदस्यों द्वारा प्राप्त होता है यधपि एक ग्रामीण क्षेत्र में कुछ ऐसे भी परिवार होते हैं जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं होती वे लोहारी, सोनारी जैसे छोटे-छोटे उधोग धन्धों में लगे रहते हैं लेकिन उनके भी दिल मे कृषि के प्रति लगाव होता है तथा महसूस करते हैं कि काश उनके पास भी खेती योग्य जमीन होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि उनमें भूमि के प्रति अटूट श्रद्धा होती है
प्राकृतिक निकटता - ग्रामवासियों का मुख्य व्यवसाय कृशि एंव उससे सम्बन्धित कार्य होता है। सभी जानते हैं कि खेती का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है ग्रामीण जीवन प्रकृति पर आश्रित रहता है।
जातिवाद एंव धर्म का अधिक महत्व - रूढ़िवादिता एंव परम्परावाद ग्रामीण जीवन के मूल समाज शास्त्रीय लक्षण हैं। फलस्वरुप आज भी हमारे ग्रामीण समुदाय में अिधाकाधिक लोगों की जातिवाद, धर्मवाद में अटूट श्रद्धा है। देखा जाता है कि ग्रामीण निवासी अपने -2 धर्म एवं जाति के बड़पपन में ही अपना सम्मान समझते हैं। ग्रामीण समुदाय में जातियता पर ही पचायतों का निर्माण होता है। ग्रामीण समाज में छुआछुत व संकीर्णता पर विशेष बल दिया जाता है।
सरल और सादा जीवन -ग्राामीण समुदाय के अधिकाधिक सदस्यों का जीवन सरल एंव सामान्य होता है। इनके ऊपर शहरीय चमक-दमक का प्रभाव कम होता है। उनका जीवन कृत्रिमता से दूर सादगी में रमा होता है। उनका भोजन, खान-पान एंव रहन-सहन, सादा एंव शुद्ध होता है। गांव का शिष्टाचार, आचार-विचार एंव व्यवहार सरल एंव वास्तविक होता है तथा अतिथि के प्रति अटूट श्रद्धा एंव लगाव होता है।
संयुक्त परिवार - ग्रामीण समुदाय में संयुक्त परिवार का अपना विशेष महत्व है। इसीलिये ग्रामीण लोग पारिवारिक सम्मान के विशय में सर्वदा सजग रहते हैं। परिवार को टुटने से बचाना तथा पारिवारिक समस्याओं को अन्य परिवारों से गोपनीय रख निपटाने का वे भरसक प्रयास करते हैं पारिवारिक विघटन का सम्बन्ध उनकी सामाजिक परिस्थिति एवं सम्मान से जुड़ा होता है। इसलिए परिवार का मुखिया एवं बड़े-बूढ़े सदस्य इसे अपना सम्मान समझकर परिवार की एकता को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
सामाजिक जीवन मे समीपता - वास्तव में ग्रामीण जीवन में अत्यधिक समीपता पार्इ जाती है अधिकाधिक ग्रमीण समुदायों के केवल व्यवसायिक समीपता ही नहीं अपितु उनके सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में अत्यधिक समीपता पार्इ जाती है। इस समीपता का मुख्य कारण कृशि एवं उससे सम्बन्धित व्यवसाय है।
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