Hindi, asked by stylemylo2472, 11 months ago

सामने
बेचैन घावों की अजब तिरछी लकीरों से कटा
चेहरा
कि जिस पर काँप
दिल की भाप उठती है...
पहने हथकड़ी वह एक ऊँचा कद
समूचे जिस्म पर लत्तर
झलकते लाल लंबे दाग
बहते खून के।
वह कैद कर लाया गया ईमान...
सुलतानी निगाहों में निगाहें डालता,
बेखौफ नीली बिजलियों को फेंकता
खामोश

Answers

Answered by Anonymous
6

Hey mate .

Good lekh .

but what is your question ..

please text your question .

Answered by tejujangra
20

भूल गलती--------------------------------------------------------------------------खामोश !!

कवि कहता है कि हमारे व्यक्तिगत अथवा सामाजिक जीवन की जो भूलें और गलतियाँ हैं, वही आज लोहे के कवच से अपने आपको सुरक्षित बनाकर दिल के तख्त पर बैठ गयी हैं और शासन चला रही हैं । आज का जो शासन है उसमें शासक न सिर्फ़ खुद लौह कवच धारण किये हुए है बल्कि लोगों पर आतंक जमाने के लिए उसने भाँति भाँति के हथियार भी एकत्र कर लिये हैं । उसके हथियारों की चमक दूर दूर तक दिखाई देती है और उसकी आँखों से भी ऐसी रोशनी निकल रही है जैसे किसी नोकदार तेज पत्थर की नोक पर चिलक रही हो । उसके आतंक के समक्ष सबने समर्पण कर दिया है । सामने लोग कतारबद्ध सलाम की मुद्रा में झुके हुए हैं और उनका गूँगापन उनकी बेबसी है । यह समूचा दृश्य एक ऐसे दरबार में घटित हो रहा है, जो अत्यन्त भव्य है, उसमें अनगिनत खम्भे हैं और उन खम्भों के बीच अनगिनत मेहराबें पड़ी हुई हैं । (दरबारे आम वह जगह थी जहाँ बादशाह जनता के समक्ष अपने निर्णय सुनाता था) । शासक को जिस अपराधी के बारे में फ़ैसला सुनाना है, वह स्वयं ईमान है । तात्पर्य यह कि गलती के शासन के लिए ईमान को कैद करना जरूरी हो जाता है । कैद करके हथकड़ी पहनाकर ईमान को शसक के सामने खड़ा किया गया है । कैदी का चेहरा घावों की आड़ी तिरछी लकीरों से कटा पिटा है और ये घाव उसकी बेचैनी के हैं । इन घावों के कारण उसका चेहरा इतना भयानक हो गया है कि जिस पर नजर डालने से दिल काँप उठता है और हाय निकल आती है । ऐसा नहीं कि घावों अथवा कैद होने के कारण उसका कद छोटा हो गया हो । हालाँकि उसके जिस्म पर कपड़ों की जगह गरीबी और परेशानी के चिन्ह लत्ते मात्र लटक रहे हैं और खून के लम्बे लाल दाग भी उन लत्तों पर दिखाई दे रहे हैं । फिर भी उसका स्वाभिमान सुरक्षित है । जहाँ अन्य सभी लोग निगाह झुकाए हुए हैं वहीं वह सिर ऊँचा कर सीधे शासक की आँखों में आँखें डाले हुए है, वह निडर है और उसकी भी आँखों से अग्नि स्फुलिंग के समान नीली बिजली के टुकड़े निकल रहे हैं । चतुर्दिक खामोशी पसरी हुई है लेकिन शासक के आतंक और कैदी की निडरता के बीच आँखों ही आँखों में संवाद जारी है ।

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