'सामने तरु मालिका अट्टालिका प्राकार' से क्या आशय है
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तरुण उस स्त्री की कार्यशैली कैसी है
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'सामने तरु मालिका अट्टालिका प्राकार' से क्या आशय है?
‘सामने तर मालिका अट्टालिका प्राकार’ से आशय यह है कि वह स्त्री कड़ी धूप में पत्थर तोड़ रही है, लेकिन उसके लिए पल-भर सुस्ता लेने के लिए आसपास कोई भी छायादार पेड़ नहीं है, जबकि उसके ठीक सामने ही एक विशाल भवन था, जिसमें पंक्ति में अनेक पेड़ लगे थे।
कवि का कहने का भाव यह है कि गरीबों के लिए कोई भी सुख नहीं है। सुख का उपयोग केवल धनी लोग करते हैं। गरीब व्यक्ति हमेशा कड़ा परिश्रम करने के बावजूद शोषित किए जाते हैं, जबकि साधन संपन्न लोग ऐशो-आराम से जीते हुए हर तरह के सुख का उपभोग करते हैं।
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