Science, asked by ganeshrathore81275, 6 months ago

सोमरफील्ड के परमाणु मॉडल का वर्णन करो​

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Answered by saishpalande333
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Answer:

सोमर फील्ड का परमाणु मॉडल , सॉमर फील्ड का सिद्धांत , सिद्धान्त के निष्कर्ष और कमियाँ , sommerfeld theory. ... बोर सिद्धांत के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाते है। जबकि सॉमर फील्ड के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर दीर्घवृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाते है।

Answered by muskanmalik1092
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Explanation:

सोमर फील्ड का परमाणु मॉडल : इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्न है –

1. बोर सिद्धांत के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाते है। जबकि सॉमर फील्ड के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर दीर्घवृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाते है।

जब दीर्घ अक्ष की लम्बाई लघु अक्ष की लम्बाई के बराबर हो जाती है तो आकृति पुनः वृत्ताकार हो जाती है।

2. जब इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाते है तो उनकी नाभिक से दूरी समान रहती है परन्तु घूर्णन कोण बदलता रहता है। लेकिन जब इलेक्ट्रॉन दीर्घ वृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाता है तो उनकी नाभिक से दूरी व घूर्णन कोण दोनों का मान बदलता रहता है।

3. बोर के अनुसार इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग निम्न सूत्र से ज्ञात किया जाता है।

mvr = nh/2π

परन्तु जब इलेक्ट्रॉन दीर्घ वृत्ताकार कोशों में चक्कर लगाते है तो उनका कोणीय संवेग दो घटकों के योग के बराबर होता है।

संवेग का त्रिज्य घटक = nrh/2π

संवेग का द्विन्ग्शीय घटक = kh/2π

कुल कोणीय संवेग (mvr) = nrh/2π + kh/2π

कुल कोणीय संवेग (mvr) = h/2π [nr + k]

दोनों समीकरणों की तुलना करने पर –

nh/2π = h/2π [nr + k]

n = [nr + k]

यहाँ nr = त्रिज्य क्वांटम संख्या और k = द्विग्वंशीय क्वांटम संख्या।

4. दीर्घवृत्ताकार कोश की आकृति दीर्घ अक्ष और लघु अक्ष के अनुपात पर निर्भर करती है –

माना दीर्घ अक्ष की लम्बाई/ लघु अक्ष की लम्बाई = n/k

k का मान 1 , 2 , 3 , 4 . . . . . . n तक होता है।

निष्कर्ष

1. उपरोक्त तथ्य से यह निष्कर्ष निकलता है कि n के किसी निश्चित मान के लिए k के जितने मान होते है उस कोश में उतने ही उपकोश होते है।

2. n और k के भिन्न भिन्न मान वाले अण्डाकार पथ में इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी परिवर्तित होती जाती है जिससे उसके वेग में भी परिवर्तन होता जाता है।

3. आपेक्षिकता के सिद्धांतानुसार जब इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान में परिवर्तन आता है तो अंडाकार पथ की गति भी परिवर्तित हो जाती है जिससे इसकी उर्जायें भी भिन्न भिन्न हो जाती है इससे सिद्ध होता है कि कोशों में भिन्न भिन्न ऊर्जा वाले उपकोश होते है।

कमियाँ

1. जब इलेक्ट्रॉन किसी कोश में चक्कर लगाता है तो वह ऊर्जा उत्सर्जित और अवशोषित क्यों नहीं कर सकता ?

2. इलेक्ट्रॉन की सही स्थिति और उसका सही संवेग एक साथ यथार्थता के साथ ज्ञात नहीं किया जा सकता।

3. कोणीय संवेग mvr = nh/2π इस व्यंजक को कैसे प्राप्त किया जाता है , इस तथ्य को नहीं समझा सका।

4. जब इलेक्ट्रॉन एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में जाता है तो वह पूरी दूरी तय करता है इससे ऊर्जा लगातार निकलनी चाहिए , उर्जा का क्वाण्टीकरण क्यों होता है , इस तथ्य को नहीं समझा जा सका।

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