Hindi, asked by mpdorkar, 4 days ago

सो मत बिना गुरु के नया नहीं होता विषय पर अपने विचार लिखिए​

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Answered by Ojeswini
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हा!" बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता " यह बात तो सच है क्योंकि गुरु ही तो होते है जो हमारे सच्चे मार्गदर्शक होते है । ... गुरु सदैव आपने शिष्य को अपने से ऊपर पद पर देखना पसंद करते है। जिस प्रकार एक घड़े को बनाने में एक कुम्हार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है उसी प्रकार एक शिष्य को बनाने में उसकी गुरु की सबसे अहम भूमिका होती है।

Answered by ishupawar2233
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भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है, यह अध्यात्म-जगत की सबसे बड़ी घटना के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी देशों में गुरु का कोई महत्व नहीं है, वहां विज्ञान और विज्ञापन का महत्व है परन्तु भारत में सदियों से गुरु का महत्व रहा है। यहां की माटी एवं जनजीवन में गुरु को ईश्वरतुल्य माना गया है, क्योंकि गुरु न हो तो ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग कौन दिखायेगा? गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं।

जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। इन्हीं की प्रेरणा से आत्मा चैतन्यमय बनती है। गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं। उनका जीवन शिष्य के लिये आदर्श बनता है। उनकी सीख जीवन का उद्देश्य बनती है। अनुभवी आचार्यों ने भी गुरु की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए लिखा है- गुरु यानी वह अर्हता जो अंधकार में दीप, समुद्र में द्वीप, मरुस्थल में वृक्ष और हिमखण्डों के बीच अग्नि की उपमा को सार्थकता प्रदान कर सके।

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