सुमति यजनामों के पास क्यों जाना चाहते है? लेखक उन्हें क्यो नही जाने देना चाहते?
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सुमति यजनामों के पास क्यों जाना चाहते है? लेखक उन्हें क्यो नही जाने देना चाहते?
- लेखक ने सुमति को शेखर विहार में मेजबानों से मिलने से रोका क्योंकि अगर वह चली जाती तो इसमें काफी समय लगता और लेखक को उसके लिए एक सप्ताह इंतजार करना पड़ता। लेकिन दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की क्योंकि वह अकेले रहना चाहता था और मंदिर में रखी हस्तलिखित पुस्तकों का अध्ययन करना चाहता था।
- सुमति एक बौद्ध भिक्षु थी जिसकी मेज़बानी गाँव-गाँव में होती थी। वे जब भी किसी गाँव में जाते तो मेजबान से मिलते और उनकी आवश्यकता के अनुसार उनकी सहायता करते थे। इसलिए, लेखक नहीं चाहता था कि यात्रा के दौरान सुमति अपने मेजबानों से मिले क्योंकि इससे उसकी यात्रा में देरी हो सकती है।
- लेखक को चिंता थी कि कहीं सुमति अपने यजमानों से मिलने में दो-चार दिन बर्बाद न कर दे। ऐसे में यात्रा में अकारण विलंब होगा। इस प्रकार लेखक ने पहली बार सुमति को अपने यजमानों के पास जाने से रोका। सुमति ने अपने यजमानों को लाल वस्त्र वितरित किया।
- यह कपड़ा किस पवित्र स्थान का है? सुमति अपने यजमानों को यह मानकर कीलें दिया करती थी कि ये कीलें बोधगया से लाए गए कपड़े की बनी हैं। उसका घोड़ा सुस्त था, इसलिए वह अपने साथियों से बिछड़ गया। समय पर न पहुँचने के कारण उन्हें सुमति के क्रोध का सामना करना पड़ा। वापस लौटने पर उन्हें अपना सामान पीठ पर लादकर यात्रा करनी पड़ी। उन्हें भिखारी के वेश में यात्रा करनी पड़ी।
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लेखक ने शेखर बिहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था । क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और देर हो जाती।
- इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वह अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
- सुमति एक बौद्ध भिक्षु था । जिसके यजमान हर गांव में थे । वह जब भी किसी गांव में जाता अपने यजमानों से जरूर मिला करता था और उसकी आवश्यकता अनुसार मदद किया करता था। इसलिए लेखक नहीं चाहता था कि यात्रा के दौरान सुमती अपने यजमानो से मिले क्योंकि इस वजह से उन्हें उनकी यात्रा में देरी होगी हो जाती।
- लेखक को डर था कि सुमति अपने यजमानो से मिलने के चक्कर में दो-चार दिन उधर ही ना बर्बाद कर दे। ऐसे में बिना वजह ही यात्रा में देरी हो जाती इसलिए लेखक ने पहली बार सुमति को उनके यजमानो के पास जाने से मना कर रोकने की कोशिश की।
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