सुनि अठिलैहैं लोग सब ,बाँँटि न लैहैं कोय" पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए
..लोग सुनकर समझ कर दु:खों को बाँट लेते हैं |
..लोग दूसरों के कष्ट सुनकर प्रसन्न होते हैं ,दु:खों को कोई नहीं बाँटता |
..लोग दु:खों को सुनकर दौड़े चले आते है
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इस पंक्ति का भाव यह है कि अपना दुःख अपने तक ही सीमित रखें। उसे सबको बताकर हँसी-मज़ाक का पात्र न बने क्योंकि दूसरे का दुःख कोई बाँटता नहीं है।
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Answer:
I think aapka answer aapko mil hai.......
so I just want to say......
..
good night!!!..
stay happy stay safe❥❥●
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