सोने का हिरण देखकर सीता ने क्या कहा और क्यों
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मारीच कुलांचे भरता हुआ आश्रम से दूर निकल गया और राम उसका पीछा करने लगे. काफी दूर तक पीछा करने के बाद राम ने मृग का वध कर दिया, वह भी स्वर्णिम तीर से ही. मरते हुए मारीच ने राम की आवाज में आर्त्तनाद किया, हे सीता! हे लक्ष्मण!
वहाँ से दूर आश्रम में भयभीत सीता छल का शिकार हो गयीं और लक्ष्मण को राम को ढूँढने को कहा. वह असुरक्षित और अकेली रह गयी, तब रावण भिक्षुक के वेश में आया और उनका अपहरण कर लिया. और इस प्रकार सत्य, न्याय और अपनी प्रिये पत्नी के लिए राम का संग्राम आरम्भ हुआ.
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