Social Sciences, asked by sumansangrampur9, 6 months ago

) सेना के लिए प्रशिक्षण के कौन-कौन से केंद्र हैं?
दूर तक मार करने के लिए हम कौन सी मिसाइलें बना चुके हैं?
रेशान
साना किया।​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

सेना के लिए प्रशिक्षण केंद्र हैं

Explanation:

शिक्षा और प्रशिक्षण : राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज : राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज  देहरादून की स्थापना 13 मार्च 1922 को की गई थी जिसका उद्देश्य उन भारतीयों को आवश्यक प्रारंभिक प्रशिक्षण मुहैय्या करवाना था जो भारतीय सशस्त्र बलों में अधिकारी बनने के इच्छुक थे। यह संस्था अब राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला (पुणे) के लिए एक फीडर संस्थान के रूप में काम करती है जहां थलसेना, नौसेना और वायुसेना के कैडेट अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण हासिल करते हैं।

सैनिक स्कूल : सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिए योजना 1961 में शुरू की गई ताकि भर्ती आधार को विस्तृत किया जा सके और रक्षा बालों के ऑफिसर काडर में एक कथित क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त किया जा सके. सैनिक स्कूल, केन्द्र और राज्य सरकारों के संयुक्त उपक्रम हैं। वर्तमान में, 18 सैनिक स्कूल, सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा प्रशासित किये जाते हैं। ये स्कूल केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं।

मिलिट्री स्कूल : इन्हें ब्रिटिश काल में अजमेर, बेंगलोर, बेलगाम, चैल और धौलपुर में स्थापित किया गया था और इन्हें किंग जॉर्ज मिलिट्री स्कूल के रूप में संदर्भित किया जाता था।

चैल मिलिट्री स्कूल चैल (सबसे पुराना) (पूर्व में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज के रूप में ज्ञात) शिमला, अजमेर मिलिट्री स्कूल, बेंगलोर मिलिट्री स्कूल,बेलगाम मिलिट्री स्कूल, धौलपुर मिलिट्री स्कूल,भारतीय सेना,भारतीय सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने वाले प्रमुख संस्थानों में शामिल हैं:

जूनियर लीडर्स विंग : जूनियर लीडर्स विंग, बेलगाम इन्फैन्ट्री स्कूल, महू का हिस्सा है और उप इकाई स्तर पर कनिष्ठ अधिकारी और कनिष्ठ लीडरों को सामरिक और विशेष अभियान तकनीक का प्रशिक्षण देता है ताकि वे सौंपे गए परिचालन अभियानों को पूरा करने में सक्षम हो सकें.

भारतीय सैन्य अकादमी : भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून को उत्कृष्ट अधिकारी मुहैय्या करवाने का श्रेय जाता है जो राष्ट्र की सेवा के लिए बेहद अनुशासित, पूर्ण रूप से प्रेरित और गहरे प्रतिबद्ध होते हैं। अकादमी के विदाई भाषण में वीरता, बहादुरी और त्याग की कहानियां शामिल होती हैं जिसे इसके पूर्व छात्रों ने संघर्ष के समय प्रदर्शित किया था।

अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी : अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी युवा महिलाओं और पुरुषों को प्रशिक्षण प्रदान करता है ताकि वे भारतीय सेना, चेन्नई में अपना सही पद ग्रहण कर सकें.

हाई आल्टीटयूट वारफेयर स्कूल: हाई आल्टीटयूट वारफेयर स्कूल , गुलमर्ग एक प्रशिक्षण संस्थान है जो भारतीय सेना कर्मियों को माउंटेन वारफेयर और विंटर वारफेयर का विशेष प्रशिक्षण देता है।

स्कूल ऑफ़ आर्टिलरी : स्कूल ऑफ़ आर्टिलरी, देवलाली नासिक जिला, महाराष्ट्र सेना की एक प्रमुख संस्था है जो शामिल किये जाने वाले नए उपकरणों का प्रभावी प्रशिक्षण, मूल्यांकन प्रदान करती है और तोपखाने के संचालन के नए सिद्धांत/ अवधारणाओं का विकास करती है।

भारतीय मिसाइलों की सूची :

सतह से सतह में मार करने वाले मिसाइल : कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल

पृथ्वी 1 / पृथ्वी 2 / पृथ्वी 3

प्रहार

मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल

ग्नि-1 - अग्नि-1 मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता सात सौ किलोमीटर है।  

अग्नि-2 - अग्नि द्वितीय (अग्नि-२) भारत की मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 21 मीटर लंबी और 1.3 मीटर चौड़ी अग्नि-२ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है।

इंटरमीडिएट दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल

अग्नि-3 - अग्नि तृतीय (अग्नि ३), अग्नि-२ के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत द्वारा विकसित मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। जिसकी मारक क्षमता ३५०० किमी से ५००० किमी तक है।  

अग्नि-4 - अग्नि-4 (Agni-IV) एक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है।

अन्तरमहाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल

अग्नि-5 - अग्नि पंचम (अग्नि-५) भारत की अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी अग्नि-५ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 5 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है।

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