सोना महादेवी के जीवन में किस प्रकार आई तथा उसकी करूण कथा का अंत किस प्रकार हुआ?
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ज्ञात हुआ कि छात्रावास के सन्नाटे और फ्लोरा के तथा मेरे अभाव के कारण सोना इतनी अस्थिर हो गई थी कि इधर-उधर कुछ खोजती-सी वह प्राय: कम्पाउण्ड से बाहर निकल जाती थी। सब उस सुनहले रेशम की गठरी के शरीर को गंगा में प्रवाहित कर आए और इस प्रकार किसी निर्जन वन में जन्मी और जन-संकुलता में पली सोना की करुण कथा का अन्त हुआ।
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ज्ञात हुआ कि छात्रावास के सन्नाटे और फ्लोरा के तथा मेरे अभाव के कारण सोना इतनी अस्थिर हो गई थी कि इधर-उधर कुछ खोजती-सी वह प्राय: कम्पाउण्ड से बाहर निकल जाती थी। ... सब उस सुनहले रेशम की गठरी के शरीर को गंगा में प्रवाहित कर आए और इस प्रकार किसी निर्जन वन में जन्मी और जन-संकुलता में पली सोना की करुण कथा का अन्त हुआ।
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