Hindi, asked by jethuramdewangan360, 5 months ago

सोन और नर्मदा की प्रणय कथा लिखिए

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Answered by shishir303
67

शोण और नर्मदा की प्रणय कथा...

सोणभद्र और नर्मदा अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलने वाली नदी हैं, जिनके विषय में कथा प्रचलित है कि दोनो प्रेमी थे।

नर्मदा और शोण एक दूसरे से प्रेम करते थे। नर्मदा की एक दासी थी जुहिला। एक बार नर्मदा ने जुहिला को अपनी दूती बनाकर शोण के पास प्रणय संदेश भिजवाया। नर्मदा का संदेश लेकर जुहिला जब शोण के पास पहुंची तो शोण यानि सोनभद्र के सुंदर व्यक्तित्व को देखकर जोहिला सोनभद्र पर मोहित हो गई और उसने नर्मदा का रूप धारण करके शोण यानि सोनभद्र के सामने स्वयं नर्मदा के रूप में प्रस्तुत किया और सोनभद्र का वरण कर उससे विवाह कर लिया।

जब नर्मदा को जुहिला के इस विश्वासघात का पता चला तो वह क्रोध से भर उठी और उसने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया। वो क्रोध में आकर उल्टे पाँव पश्चिम की ओर वेगवती होकर बहने लगी और चट्टानों को रौंदते हुए, पहाड़ों को किनारे करते हुए, उछलती और उत्ताल तरंगों से बहती चली गई, लेकिन उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। उधर सोनभद्र को भी जब इस बात का पता चला तो उसे भी अपने किए पर पछतावा हुआ और वह भी विरह से युक्त व संतप्त होकर अमरकंटक के उच्च शिखर से छलांग लगाकर पूर्व दिशा की ओर बह निकलता है और बहता ही चला जाता है। कुछ दूर चलने पर जुहिला उसे मना लेती है और उसमें ही समा जाती है, लेकिन नर्मदा और शोण दोनों प्रेमी विपरीत दिशा में बह निकलते हैं। इस तरह दोनों का मिलन नहीं हो पाता और दोनों की प्रणय गाथा अधूरी रह जाती है। आज भी दोनों नदी के रूप में विपरीत दिशा में अजस्र बह रहे हैं।

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Answered by rajutusharengineerin
35

Answer:

Explanation: शोण और नर्मदा की प्रणय कथा...

सोणभद्र और नर्मदा अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलने वाली नदी हैं, जिनके विषय में कथा प्रचलित है कि दोनो प्रेमी थे।

नर्मदा और शोण एक दूसरे से प्रेम करते थे। नर्मदा की एक दासी थी जुहिला। एक बार नर्मदा ने जुहिला को अपनी दूती बनाकर शोण के पास प्रणय संदेश भिजवाया। नर्मदा का संदेश लेकर जुहिला जब शोण के पास पहुंची तो शोण यानि सोनभद्र के सुंदर व्यक्तित्व को देखकर जोहिला सोनभद्र पर मोहित हो गई और उसने नर्मदा का रूप धारण करके शोण यानि सोनभद्र के सामने स्वयं नर्मदा के रूप में प्रस्तुत किया और सोनभद्र का वरण कर उससे विवाह कर लिया।

जब नर्मदा को जुहिला के इस विश्वासघात का पता चला तो वह क्रोध से भर उठी और उसने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया। वो क्रोध में आकर उल्टे पाँव पश्चिम की ओर वेगवती होकर बहने लगी और चट्टानों को रौंदते हुए, पहाड़ों को किनारे करते हुए, उछलती और उत्ताल तरंगों से बहती चली गई, लेकिन उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। उधर सोनभद्र को भी जब इस बात का पता चला तो उसे भी अपने किए पर पछतावा हुआ और वह भी विरह से युक्त व संतप्त होकर अमरकंटक के उच्च शिखर से छलांग लगाकर पूर्व दिशा की ओर बह निकलता है और बहता ही चला जाता है। कुछ दूर चलने पर जुहिला उसे मना लेती है और उसमें ही समा जाती है, लेकिन नर्मदा और शोण दोनों प्रेमी विपरीत दिशा में बह निकलते हैं। इस तरह दोनों का मिलन नहीं हो पाता और दोनों की प्रणय गाथा अधूरी रह जाती है। आज भी दोनों नदी के रूप में विपरीत दिशा में अजस्र बह रहे हैं।

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