सोने और सुहागा के मिलने से कवि का क्या आशय है ?
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सुहागे का अलग से अपना कोई अस्तित्व नहीं है। किंतु जब वह सोने के साथ मिल जाता है तो उसमें चमक उत्पन्न कर देता है।
कवि ने ‘गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकता है।
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सुहागे का अलग से अपना कोई अस्तित्व नहीं है। किंतु जब वह सोने के साथ मिल जाता है तो उसमें
चमक उत्पन्न कर देता है।
कवि ने ‘गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकता है।
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