Science, asked by PragyaTbia, 11 months ago

सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।

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Answered by anjali6253
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1) सोनार में एक प्रेषित्र और एक संसूचक होता है जो नाव या जहाज़ में नीचे की तरफ से लगा हुआ होता है।

2) प्रेषित्र प्रभवशाली पराध्वनि तरंगों को उत्पन्न तथा संचारित करता है।

3) ये प्रभावशाली तरंगें समुद्री जल से होती हुईं पिंडों से टकराती हैं और परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं।

4) संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित करता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है।

5) जल में ध्वनि की चाल, पराध्वनि का प्रेषण और अभिग्रहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उस पिंड की दूरी की गणना की जा सकती है जिससे ध्वनि परावर्तित हुईं।

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :  

सोनार की कार्यविधि निम्न प्रकार से है :  

सोनार से ध्वनि तरंग उत्पन्न कर के समुद्र की गहराई में भेजी जाती है। ये तरंगे समुद्र के तल या उस में डूबी हुई वस्तु से टकराकर वापस लौटती है।  प्रतिध्वनि या परावर्तित ध्वनि को ग्रहण किया जाता है । समय और तरंगों की गति को जानकर समुद्र की गहराई जान ली जाती है।

h = v × t/2

सोनार एक उपकरण है, जिसे समुद्र की गहराई ज्ञात करने के लिए, या जल के नीचे वस्तुओं जैसे मछली के स्रोत, नष्ट हुए जहाजों और दुश्मनों की पनडुब्बियों की स्थिति का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है

सोनार का हिंदी में अर्थ है ध्वनि नौ संचालन और परासन।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।  

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