सोने से हैं मंna
के कविता
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कितनी भी गलतियां हो जाएं बचपन में हमसे पर मां तेरे लिए हम हमेशा सही होते थे ! ...
माँ एक बार प्यार से गले लगा ले.... खुल के रोने का दिल कर रहा है ...
अब समझाने से कोई नहीं समझता तुम बिन कहे सब समझ जाती थी माँ ! एक बार फिर से तेरे सामने भूखा प्यासा होने का दिल कर रहा है
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thnx for asking
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fdaaffhnm
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lifav call fffhjjnbsssfghunbd
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