साना-साना हाथ जोडि पाठ में प्रकृति की जल-संचय व्यवस्था का उल्लेख
है। वह क्या है? वर्तमान जल-संकट से उबरने के लिए हम क्या-क्या प्रयास
कर सकते है ?(60-70) words
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O साना-साना हाथ जोडि पाठ में प्रकृति की जल-संचय व्यवस्था का उल्लेख है। वह क्या है? वर्तमान जल-संकट से उबरने के लिए हम क्या-क्या प्रयास कर सकते है?
► ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में वर्णन के अनुसार प्रकृति ने जल संचयन की अद्भुत व्यवस्था की है। पहले तो सर्दियों में पर्वतों की चोटियों पर बर्फ के रूप में जल का भंडारा होता रहता है और बड़े-बड़े हिमखंड बन जाते हैं। बाद में गर्मियों में यही हिमखंड पिघलकर नदियों के माध्यम से करोड़ों लोगों की प्यास बुझाते हैं। यही जल लोगों के लिए जीवनदायी बनता है। अंततः ये नदियां बहती हुई सागर में मिल जाती हैं। सागर से यही जल वाष्प के रूप में उड़कर बादल के रूप में उड़ता है और मैदानी क्षेत्र में वर्षा करता है, और पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात के रूप में फिर बर्फ की चोटियों पर हिमपात करता है, जो वापस बर्फ के रूप जल का भंडारण करता रहता है। यह जलचक्र निरंतर चलता रहता है। ये प्रकृति द्वारा जल संचयन की अद्भुत और प्राकृतिक व्यवस्था है।
हम भी जल संचयन के लिए कई उपाय आजमा सकते हैं। हमने देखा है कि वर्षा में सारा जल यूं ही बह जाता है। हम चाहें तो अपने घर की छतों पर जल-संचयन कर सकते हैं या अपने आस-पास पड़ी खाली भूमि पर जल संचयन हेतु टंकिया आदि बनवा सकते हैं, जिसमें वर्षा का जल संग्रह कर बाद में उसे आगे के समय के लिए प्रयोग में लाते रहें।
बड़े स्तर पर जल संचयन के लिए सरकार द्वारा ऐसी अनेक व्यवस्था की गई है, जहां पर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झील का निर्माण किया गया है और उनमें वर्षा का जल-संचय करके पूरे साल भर उसी जल पर जीवन चलता है।
इस तरह हम जल के जल संचयन के उपाय आजमा सकते हैं।
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'मेरे पाँव झनझन करने लगे थे, पर मन वृंदावन हो रहा था।'-इस पंक्ति में निहित लेखिका
की मनोभावना को 'साना-साना हाथ जोड़ि..' पाठ के आधार पर अपने शब्दों में लिखिए|
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